Class 12th Chemistry Chapter 3 रासायनिक बलगतिकी part 1 रासायनिक बलगतिकी का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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Class 12th Chemistry Chapter 3 रासायनिक बलगतिकी part 1
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 12th Chemistry Chapter 3 रासायनिक बलगतिकी part 1 में महत्वपूर्ण Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी:
- रासायनिक बलगतिकी और रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार
- रासायनिक अभिक्रिया का वेग
- अभिक्रिया के वेग के प्रकार औसत वेग, ताक्षणिक वेग प्रारंभिक वेग
- अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक
क्या जरूर्री है क्या नही :-अच्छे से अच्छे अंक लाने के लिए आपको बेहतर नोट्स एंड बेहतर क्लास लेनी चाहिये जो आपको बिलकुल फ्री में हम यहाँ पर दे रहे है |
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रासायनिक बलगतिकी और रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार
रासायनिक बलगतिकी :- भोतिक रसायन की वह शाखा जिसके अंतर्गत विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाओ के वेग का अध्ययन किया जाता है रासायनिक बलगातिकी कहलाती है |
रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार :- सामान्यत: रासायनिक अभिक्रिया निम्न प्रकार की होती है :-
1) ताक्षणिक अभिक्रिया अथवा अति तीर्व अभिक्रिया 2) मन्द अभिक्रिया 3) अतिमन्द अभिक्रिया
1) ताक्षणिक अभिक्रिया अथवा अतितीर्व अभिक्रिया :- वे अभिक्रिया जिनका वेग इतना अधिक होता है कि उसे सामान्य विधि के द्वारा मापा नही जा सकता है , ताक्षणिक अभिक्रिया अथवा अति तीर्व अभिक्रिया कहलाती है |
जैसे :-
NaCl + AgNO3 ————-> NaNO3 +AgCl यह अभिक्रिया बहुत तीर्व गति के साथ होती है|
2) मन्द अभिक्रिया :- वे अभिक्रिया जिनका वेग सामान्य होता है, मन्द अभिक्रिया कहलाती है | जैसे :- एसिटिक अम्ल और एथिल अल्कोहल की अभिक्रिया
CH3COOH + C2H2OH ——————> CH3COOC2H5 + H2O
3) अतिमन्द अभिक्रिया :- वे अभिक्रिया जिनका वेग अति मन्द होता है| अर्थात उन्हें पूरा होने में कई वर्ष अथवा महीने लग जाते है, अति मन्द अभिक्रिया कहलाती है|
जैसे :- लोहे पर जंग लग, बदलो में पानी का बनना आदि |
रासायनिक अभिक्रिया का वेग
रासायनिक अभिक्रिया का वेग :- वह दर जिस पर समय के साथ साथ अभिकारक या उत्पाद पदार्थो का संद्र्ण परिवर्तित होता है अभिक्रिया का वेग कहलाता है |
अत:
अभिक्रिया का वेग = अभिक्रिया के फलस्वरूप अभिकारक के संद्र्ण में कमी / प्रयुक्त समय
= अभिक्रिया के समय उत्पाद में वर्धि / प्रयुक्त समय
मात्रक – मोल प्रति लीटर -सेकंड
अभिक्रिया के वेग के प्रकार औसत वेग, ताक्षणिक वेग प्रारंभिक वेग
अभिक्रिया के वेग के प्रकार :- सामान्यत: इसे तीन भागो में बांटा गया है-
1 ) औसत वेग 2) ताक्षणिक वेग 3 ) प्रारंभिक वेग
1 ) औसत वेग :- किसी रासायनिक अभिक्रिया में उपस्थित अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में प्रति इकाई समय में होने वाले परिवर्तन की दर को अभिक्रिया का औसत वेग कहते है|
अर्थात :-
औसत वेग = अभिकारक की सांद्रता में परिवर्तन / परिवर्तन में लगा समय
= उत्पाद की सांद्रता में परिवर्तन / परिवर्तन में लगा समय
2) ताक्षणिक वेग :- किसी निश्चित क्षण पर अभिक्रिता का वस्तविक वेग उसका ताक्षणिक वेग कहलाता है |
इसे
r = +dP/dt = -dR/dt से ज्ञात करते है|
3 ) प्रारंभिक वेग :– अभिक्रिया को शुरू होने पर जो भी उसका वेग होता है उसे अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग कहते है |इसे ज्ञात करने के लिए अभिक्रिया की समीकरण में t = 0 रखते है|
अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक
अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक :- अभिक्रिया का वेग निम्नलिखित कारको पर निर्भर करता है –
1- सान्द्र्ण का प्रभाव :- अभिक्रिया का वेग उसके अभिकारको के संद्र्ण के अनुक्रमानुपति होता है |अर्थात जैसे जैसे सांद्रता बढती है वैसे ही वेग बढ़ता चला जाता है|
2- तापमान का प्रभाव :- तापमान में वृद्धि के कारण अभिक्रिया का वेग बहुत तेजी से बढ़ता है | एसा देखा गया है की 10 डिग्री सेल्सियस वर्धि करने पर वेग दो गुना हो जाता है|
3- दाब का प्रभाव :- अभिक्रिया का वेग दाब के अनुकरमानुपति होता है | अर्थात जैसे जैसे दाब बढ़ाया जाता है, वैसे ही वेग बढ़ता चला जाता है |
4- उत्प्रेरक का प्रभाव :- उत्प्रेरक वे पदार्थ होते है जो अभिक्रिया का वेग बढ़ा या घटा पाने में सक्षम होते है और अपने आप प्रभावित नही होते है अत: इनके द्वारा मनचाहा से वेग घटाया या बढ़ाया जा सकता है |
5-अभिकारी पदार्थो की प्रक्रति :- अभिक्रिया का वेग पदार्थो की प्रक्रति पर भी निर्भर करता है, क्योंकि अधिक क्रियाशील अभिकारक होने पर अभिक्रिया का वेग अधिक होता है और कम क्रियाशील होने पर कम होता है |