Class 10th Science Chapter-12 विद्युत part – 02 विद्युत का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-12 विद्युत part – 02 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- ओम का नियम
- विद्युत प्रतिरोध
- चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक
- समांतर क्रम में प्रतिरोधो का संयोजन
- श्रेणी क्रम में प्रतिरोधो का संयोजन
ओम का नियम [ Ohm's Law ]
ओम का नियम :- इस नियम के अनुसार यदि किसी चालक की भोतिक अवस्थाये जैसे लम्बाई , परिच्छेद क्षेत्रफल , पदार्थ का ताप अपरिवर्तित रहे तो चालक में बहने वाली धारा , चालक के सिरों के बीच विभवान्तर के अनुक्र्मानुपाती होती है –
अर्थात –
V α I
V= IR जहाँ R एक नियतांक है, जिसे विद्युत प्रतिरोध कहते है |
अत: V / I = R
विद्युत प्रतिरोध [ Electric Resistance ]
विद्युत प्रतिरोध :- किसी चालक का वह गुण जिसके कारण वह विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करता है चालक का प्रतिरोध अथवा विद्युत प्रतिरोध कहलाता है इसे R से प्रदर्शित करते है |
अर्थात –
R = V / I
मात्रक – ओम अथवा वोल्ट प्रति एम्पेयर
एक बार इन्हें जरूर पढ़े
चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक
प्रतिरोध का संयोजन
प्रतिरोध का संयोजन :- प्रतिरोध का संयोजन निम्न दो प्रकार से किया जा सकता है –
- समांतर क्रम में
- श्रेणी क्रम में
समांतर क्रम में प्रतिरोधो का संयोजन
समी. (6) से यह निष्कर्ष निकलता है कि “जब बहुत से प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में संयोजित किये जाते हैं तो संयोजन के तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम इन प्रतिरोधकों के पृथक-पृथक प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों का योग होता है तथा इसका मान न्यूनतम मान के किसी प्रतिरोध से भी कम होता है।” इसे प्रतिरोधों का पार्श्वक्रम संयोजन नियम कहते हैं।
श्रेणीक्रम में प्रतिरोधो का संयोजन
समी. (6) से यह निष्कर्ष निकलता है कि “जब बहुत से प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में संयोजित किये जाते हैं तो संयोजन का तुल्य प्रतिरोध उन प्रतिरोधकों के पृथक-पृथक प्रतिरोधों का योग होता है तथा इसका मान किसी भी व्यष्टिगत प्रतिरोधक के प्रतिरोध से अधिक होता है।” इसे प्रतिरोधों का श्रेणीक्रम संयोजन का नियम कहते हैं।