Excellent Shiksha Class-10th,धातु एवं अधातु Class 10th Science Chapter-03 (धातु एवं अधातु) part -02

Class 10th Science Chapter-03 (धातु एवं अधातु) part -02


Class 10th Science Chapter-03 (धातु एवं अधातु) part -02

Class 10th Science Chapter-03  (धातु एवं अधातु ) part -02  में हम निम्न महत्वपूर्ण हैडिंग का अध्ययन करेंगे:- 

 धातुओ के निष्क्रष्ण में पद,
अयस्क का संद्र्ण और विधियाँ ,
फेन प्लवन विधि एवं इसके उपयोग ,
विद्युत चुम्बकीय प्रथक्करण विधि ,
भर्जन से आप क्या समझते है ? ,
निस्तापन से आप क्या समझते है ? ,
धातुओ का परिष्करण,
एलुमिनियम का निष्कर्षण,
 
आदि |

हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | 

अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है | 

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#:- धातुओ के निष्क्रष्ण में निम्नलिखित पद अपनाये जाते है –

 

धातुओ के निष्क्रष्ण
#:- अयस्क का संद्र्ण :- पृथ्वी की भूपर्पटी में पाए जाने वाली अयस्क में मिटटी रेत  जैसी अनेक अशुद्धिया होती है , जिन्हें आधात्री अथवा गैंग कहते है |
 
धातुओ के निष्क्रष्ण से पहले अयस्क से अशुद्धियो को हटाना आवश्यक है  जिसके कारण  अयस्क में धातु की मात्रा  बढ़ जाती है , अत: अयस्क से अशुद्धियो को अलग करने की प्रक्रिया  अयस्क का संद्र्ण कहलाती  है |
 
अयस्क का संद्र्ण निम्न लिखित विधियों द्वारा किया जा सकता है – 
1 ) द्रवचालित धुलाई   2) फेन प्लवन प्रक्रम  3) विद्युत चुम्बकीय प्रथक्करण  4) रासायनिक प्रथक्करण 
 
#:- द्रवचालित धुलाई :- इस विधि का उपयोग ऑक्साइड अयस्को के संद्र्ण में किया जाता है | यह विधि कणों के भार पर आधारित है इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क पर तेज जलधारा डाली जाती है |  

जिसके कारण  हलके गैंग वाले कण जलधारा के साथ बह जाते है और भारी अयस्क निचे बैठ जाते  है |

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2:- फेन प्लवन विधि :- यह विधि सल्फाइड अयस्को के संद्र्ण में उपयोग की जाती है | इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को एक बड़े टैंक में चित्रानुसार जल के साथ मिला लेते है|  इसके बाद इसमें चिड का तेल डालकर वायु की उपस्थिति में तीर्व गति से घुमाया जाता है |
 
जिसके फलस्वरूप हल्का तेल अर्थात सल्फाइड अयस्क उपर आ जाता है | जबकि गैंग के कण  भारी होने के  कारण  निचे बैठ जाते है |  ऊपर उपस्थित अयस्क को बहार निकाल लेते है| फेन प्लवन/झाग प्लवन विधि
#:- विद्युत चुम्बकीय प्रथक्करण :– इस विधि द्वारा केवल चुम्कीय अयस्क का ही संद्र्ण किया जा सकता है | इसमें एक चमड़े का पट्टा होता है,  जो चित्रानुसार दो  रोलरो पर घूमता है|  

इनमे से एक तो चुम्बकीय होता है| बारीक पिसे हुए अयस्क को घूमते हुए एक रोलर पर डालते है|  जब अयस्क चुम्बकीय रोलर के पास आता है , तो चुम्बकीय अयस्क आकर्षित होकर रोलर के पास गिरता है, जबकि अशुद्धिया रोलर से दूर गिरती है | 
 
Class 10th Science Chapter-03 (धातु एवं अधातु) part -02

 

 
#:- रासायनिक प्रथक्करण :- इसमें विशेष पदार्थ मिलाकर अशुद्धियो को अलग करते है |

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 #:- सक्रियता श्रेणी से निचे आने वाली धातुओ का निष्क्रष्ण :- सक्रियता श्रेणी में निचे आने वाली धातुए कम क्रियाशील होती है , इसलिए  इन्हें निष्क्रिय धातु भी कहते है |
 
इन धातुओ के निष्क्रष्ण करने के लिए इन धातुओ के ऑक्साइड को केवल गर्म करते है | गर्म करने के बाद इनमे से अशुद्धिया अलग हो जाती है|  और शुद्ध धातु प्राप्त हो जाती है |
 
जैसे :- सिनेबार मर्करी का अयस्क होता है इससे मर्करी को अलग करने के लिए, इसे गर्म करते है और गर्म करने पर  अशुद्धिया अलग हो जाती है | 
 
#:- सक्रियता श्रेणी के मध्य में स्थित धातुओ का निष्क्रष्ण :- सक्रियता श्रेणी के मध्य में स्थित धातुए क्रिया शील होती है | इसलिए ये संयुक्त अवस्था में पायी जाती है | 
 
इनके अयस्क सामान्यत: सल्फाइड एवं कार्बोनेट के रूप में पाए जाते है | इनसे धातु को प्राप्त करने के लिए भर्जन और निस्तापन  किया जाता है | 
 
#:- भर्जन :- सल्फाइड अयस्को को वायु की उपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करने की प्रक्रिया  भर्जन कहलाती है |
 
जैसे – जिंक के अयस्क का भर्जन निम्न प्रकार होता है – 
                       2ZnS(solid) + 3O2 (gas)  ———————> 2ZnO(solid) + 2SO2(gas) 
 
#:-  निस्तापन  :-  सल्फाइड अयस्को को वायु की उनुपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करने की प्रक्रिया  निस्तापन  कहलाती है |
 
जैसे – जिंक के अयस्क का निस्तापन   निम्न प्रकार होता है –  
    ZnCO3 (solid) ————————> ZnO (solid)  + CO2 (gas) 
ZnO (solid) + C (solid) ——————> Zn (solid)  + CO( gas)
 
#:-सक्रियता श्रेणी में सबसे उपर स्थित  धातुओ का निष्क्रष्ण :- सक्रियता श्रेणी  में सबसे ऊँचे स्थान पर स्थित धातु अति क्रियाशील होती है | इसलिए इनमे अत्यधिक अशुद्धिया  पायी जाती है| 
 
इन्हें कार्बन के द्वारा अपचयित  नही किया जा सकता है | इनके निष्क्रष्ण के लिए विद्युत अपघटन विधि का प्रयोग किया जाता है |
 
कैथोड पर धातु निक्षेपित होती है , जबकि एनोड़ पर अशुधिया जैसे NaCl  से धातु Na के निष्क्रष्ण में 
कैथोड पर :-         NaCl <——> Na+    +   Cl- 
                           Na +    + e –    ———–> Na  
 एनोड :-           Cl-   ————> Cl + e 

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#:- धातुओ का परिष्करण :- विभिन्न अपचयन प्रक्रमो द्वारा प्राप्त धातुए  अशुद्ध होती है |  अत: शुद्ध धातु प्रप्त करने के लिए इनका शोधन किया जाता है|  इस शोधन प्रक्रम को ही धातुओ का परिष्करण कहते है |
 
 इनका परिष्करण निम्न विधियों द्वारा किया जाता है – 1 ) परिसमापन द्वारा   2) आसवन द्वारा   3) विद्युत अपघटन द्वारा  
 
 #:-  परिसमापन द्वारा:- इस विधि का उपयोग सामान्यत: टिन , लेड  आदि धातुओ के शुद्धिकरण में किया जाता है | इस विधि में एक ढलवा चूल्हा होता है | जिस पर धातु को गलनांक  से कुछ उच्च  ताप पर नियंत्रित करते है |
 
जैसे ही धातु डाली जाती है तो धातु पिघलकर निचे आने लगती है|  अशुद्धिय जिनके ग्लानाक धातु से आधिकं होते है उपर ही रह जाती है|  जबकि शुद्ध धातु निचे आ जाती है |
 
#:- आसवन द्वारा  :- इस विधि से सामन्यत: मर्करी व जिंक जैसी अधिक वाष्पशील धातु का शोधन ही किया जा ता है | इसमें अशुद्ध धातु को एक रिटार्ट में गर्म करते है | 

शुद्ध धातु वाष्पित होकर बाहर निकल जाती है , और अशुधिया शेष रहा जाती है | शुद्ध धातु को संघनित करके एकत्र कर  लेते है | 
 
 #:- विद्युत अपघटन द्वारा  :- इससे अधिक क्रिया शील धातुओ का शोधन होता है | इस विधि में धातु का एक विलयन बना कर उसमे विद्युत धरा प्रवाहित करते है,  और फिर विलयन का अपघटन होता है जिसके फलस्वरूप एनोड पर शुद्ध धातु प्राप्त होती है जबकि अशुद्धिय कैथोड पर चली जाती है
 
 #:- एलुमिनियम का निष्कर्षण :-  भूपर्पटी में एलुमिनियम धातु सर्वाधिक मात्रा  में पाई जाती है |  आयरन के  बाद सबसे अधिक उपयोग इसी का होता है | 
 
अयस्क :- इसके प्र्मुख अयस्क  बोक्साईट  है जिसका सूत्र –   Al2O3.2H2O  है इसमें बालू रेत जैसी आशुद्धिया पाई जाती है  |
 
 बयर विधि से एलुमिनियम प्राप्त करना :- इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को गर्म सोडियम हाइड्रो ऑक्साइड विलयन के साथ अभिकर्त करते है | जिसके फलस्वरूप सोडियम एलुमिनेट बनता है | 

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  Al2O3  +2NaOH ———–> 2NaAlO2(सोडियम एलुमिनेट )  + H2O 
 
  सोडियम एलुमिनेट और सोडियम सिलिकेट युक्त छने हुए विलयन को थोड़े से एलुमिनियम हाइड्रो ऑक्साइड के साथ मिलाकर वियोजित  करते है तो एलुमिना प्राप्त होता है| 
 
 NaAlO2 + 2H2O ————> Al(OH)3+ NaOH 
Al(Oh)3 ——————–> Al2O3 + 3H2O 
 
 एलुमिना से धातु प्राप्त करना :- एलुमिना का विद्युत अपघटन करके शुद्ध धातु प्राप्त कर  लेते है 

   

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