Class 10th Science Chapter-07 नियंत्रण एवं समन्वय part – 02 नियंत्रण एवं समन्वय का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
Table of Contents
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-07 नियंत्रण एवं समन्वय part – 02 में महत्वपूर्ण Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- मानव मस्तिष्क
- अग्र मस्तिष्क , मध्य मस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क का हमरे शरीर में कार्य
- मेरुरज्जु एवं मस्तिष्क जैसे कोमल अंग कैसे अत्यंत सुरक्षित रहते हैं ?
- पादपो में समनव्य : वृद्धि पर आश्रित गति और वृद्धि से मुक्त गति
- पादपो में वृद्धि के कारण गति : प्रतान द्वारा, प्रकाशानुवर्तन
- पादपो में वृद्धि के कारण गति: गुरुत्वानुवर्तन ,जलानुवर्तन, रसायनानुवर्तन
मानव मस्तिष्क
मानव मस्तिष्क : मानव अगर सोच – समझने की एक क्षमता रखता है तो वह केवल और केवल मानव मस्तिष्क के कारण संभव है। मेरुरज्जु केवल प्रतिवर्ती क्रिया ही नहीं करती बल्कि यह तंत्रिकाओं की बनी लंबी बेलनाकार संरचना है जो सोचने के लिए सूचनाएं प्रदान करती है।
सोचने का केंद्र मस्तिष्क में होता है। वास्तव में मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) बनाते हैं जो शरीर के सभी भागों से सूचनाओं को प्राप्त करते हैं और इसका समाकलन करते हैं।
विभिन्न ऐच्छीक क्रियोओ जैसे- लिखना, चलना, बातें करना , ताली बजाना आदि के लिए निर्णय मस्तिष्क भी पेशियों तक पहुंचाता है। जिसके लिए तंत्रिका तंत्र की आवश्यकता होती है । यह कार्य परिधिय तंत्रिका तंत्र (PNS ) द्वारा किया जाता है। जो मस्तिष्क से निकलने वाली कपाल तंत्रिकाओं एवं मेरुरज्जु से निकलने वाली मेरु तंत्रिकाओं से मिलकर बना होता है।
मस्तिष्क की सरंचना के तीन मुख्य भाग होते हैं :
- अग्र मस्तिष्क
- मध्य मस्तिष्क
- पश्च मस्तिष्क
एक बार इन्हें जरूर पढ़े
अग्र मस्तिष्क , मध्य मस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क का हमरे शरीर में कार्य
अग्र मस्तिष्क : यह मस्तिष्क का सोचने वाला मुख्य भाग होता है। इसमें विभिन्न ग्राहियो से सूचनाऐं प्राप्त होती हैं। इसके मुख्य क्षेत्र सुनने, सुघने , देखने , विचार करने के लिए विशिष्ट होते हैं।
भूख से संबंधित केंद्र भी अग्र मस्तिष्क में होता है। जो हमें भूख लगने एवं पेट भर जाने का ज्ञान कराता है।
मध्य मस्तिष्क : कुछ ऐसी क्रियाएं भी होती हैं जिन पर हम चाह कर भी अपना नियंत्रण नहीं रख सकते । जैसे – हृदय का धड़कना, भोजन का पाचन, श्वशन क्रिया आदि। इन क्रियाओ को अनैच्छिक क्रियाएं कहते हैं । यह सभी मध्य मस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क से नियंत्रित होती हैं।
पश्च मस्तिष्क: अनैच्छिक क्रियाएं जैसे रक्तदाब, लार आना एवं वमन आदि पश्च मस्तिष्क द्वारा संपन्न होती है।
इसके सामान्यतः तीन भाग होते हैं :
- अनु मस्तिष्क
- मेडुला
- पोन्स
अनु मस्तिष्क मस्तिष्क का दूसरा बड़ा भाग होता है। वे सभी क्रियाएं जो हम अभ्यास करके सीखते हैं। जैसे – साइकिल चलाना, सीधी रेखा में चलना आदि अनु मस्तिष्क द्वारा संपन्न होती हैं । यह शरीर की स्थिति और संतुलन के लिए भी उत्तरदाई होता है।
मेडुला मस्तिष्क का अंतिम भाग होता है जो मेरुरज्जु से जुड़ा होता है जबकि पोन्स मस्तिष्क के विभिन्न भागों को आपस में जोड़ता है।
मेरुरज्जु एवं मस्तिष्क जैसे कोमल अंग कैसे अत्यंत सुरक्षित रहते हैं ?
मस्तिष्क कपाल या खोपड़ी की अस्थियों के बने बॉक्स में स्थित होता है । इसके चारों ओर दो झिल्लियाँ होती हैं। जिनके माध्य एक द्रव भरा रहता है जो बाह्य आघातो से रक्षा करता है। ठीक इसी प्रकार मेरुरज्जु भी कशेरूक दंड या मेरूदंड या रीढ़ की हड्डी में स्थित रहता है। इस प्रकार हमारे शरीर में मेरुरज्जु एवं मस्तिष्क जैसे कोमल अंग अत्यंत सुरक्षित रहते हैं।
पादपो में समनव्य : वृद्धि पर आश्रित गति और वृद्धि से मुक्त गति
पादपो में समनव्य : पादपो में जंतुओं की तरह न तो तंत्रिका तंत्र होता है और न ही पेशियां होती हैं परंतु पादपो के उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया प्रदर्शित होती है जो गति के कारण होती है। यह गति दो प्रकार से दर्शायी जा सकती है:
1: वृद्धि पर आश्रित गति : जैसे जब बीज अंकुरित होता है तब तो जडे नीचे की ओर और तना ऊपर की ओर जाता है।
2: वृद्धि से मुक्त गति : जैसे छुईमुई के पादप की पत्तियों को छूने पर वह मुड़कर नीचे की ओर झुक जाता है।
पादपो में वृद्धि के कारण गति : प्रतान द्वारा, प्रकाशानुवर्तन
वृद्धि के कारण गति: पादपो में यह अनेक प्रकार की हो सकती है जिसमें से कुछ निम्नलिखित है :
1: प्रतान द्वारा : दलहनी पादप जैसे मूंग, मटर आदि एवं कुछ अन्य पादप किसी न किसी सहारे पर प्रतान की सहायता से ऊपर चढ़ते हैं। प्रतान स्पर्श के प्रति संवेदनशील होते हैं। जब प्रतान किसी आधार के संपर्क में आता है तो वह भाग जो आधार के संपर्क में है उतनी तीव्रता से वृद्धि नहीं करता जितना आधार से दूर वाला भाग करता हैं इस कारण से प्रतान आधार के चारों ओर लिपट जाता है और पादप प्रतान के सहारे ऊपर चढ़ जाते हैं।
2: प्रकाशानुवर्तन : पर्यावरणीय कारक जैसे प्रकाश पादप की वृद्धि वाले भाग में दिशा परिवर्तित कर देता है ।यह गति प्रकाश की दिशा में या विपरीत दिशा में हो सकती है जैसे पादप का प्ररोह प्रकाश की ओर तथा जडे प्रकाश से दूर मुड़कर गति करते हैं, इसे प्रकाशानुवर्तन कहते हैं।
पादपो में वृद्धि के कारण गति: गुरुत्वानुवर्तन ,जलानुवर्तन, रसायनानुवर्तन
3: गुरुत्वानुवर्तन : पर्यावरणीय कारक गुरुत्व भी पादपों की वृद्धि को प्रभावित करता हैं। पादप का प्ररोह सदैव गुरुत्व के विपरीत ऊपर की ओर गति करता है, जबकि जडे गुरुत्व की ओर अर्थात नीचे की ओर गति करती हैं। चूंकि इस प्रकार की गति पृथ्वी के गुरुत्व के कारण ही होती है, इसलिए इसे गुरुत्वानुवर्तन कहते हैं|
4: जलानुवर्तन: पौधे की जड़े जल की और गति करते हैं क्योंकि जल भोजन बनाने के लिए अति आवश्यक होता हैं। इसे जलानुवर्तन कहते हैं।
5: रसायनानुवर्तन: किसी रासायनिक पदार्थ के कारण एक निश्चित भाग में होने वाली वृद्धि या गति को रसायनानुवर्तन कहते हैं । जैसे पुष्प के वर्तिकाग्र पर परागकण के अंकुरण के बाद बनने वाली पराग नलिका बीजांड की ओर गति करती है ।