Class 10th Science Chapter-08 जीव जनन कैसे करते हैं part – 03 जीव जनन कैसे करते हैं का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
Table of Contents
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-08 जीव जनन कैसे करते हैं part – 03 में महत्वपूर्ण Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी:
- किशोरावस्था और योनारंभ(puberty) के मुख्य लक्ष्ण
- बाह्य और आंतरिक निषेचन की परिभाषा
- मानव में नर जनन तंत्र
- मानव में मादा जनन अंग
- क्या होता है जब अंडे का निषेचन नहीं होता
- जनन स्वास्थ्य और गर्भधारण को रोकने के लिए उपाय
किशोरावस्था और योनारंभ(puberty) के मुख्य लक्ष्ण
किशोरावस्था : किशोर अवस्था के प्रारंभिक वर्षों में कुछ ऐसे परिवर्तन होते हैं। जिससे शारीरिक सौष्ठव बदल जाता है। शारीरिक अनुपात बदल जाते हैं। नए लक्षण आते हैं। नए संवेदना में परिवर्तन होते हैं।
इनमें से कुछ परिवर्तन लड़के एवं लड़कियों में एक समान होते हैं। जैसे – कॉख एवं जांघों के मध्य जनन अंगों के क्षेत्र में बाल निकल आते हैं, इनका रंग गहरा हो जाता है, शरीर पर भी महीन बाल आ जाते हैं, त्वचत के तेलीय हो जाती है, मुहांसे भी निकल आते हैं।
कुछ परिवर्तन लड़के एवं लड़कियों में भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे – लड़कों में दाढ़ी आना, मूछों का आना , आवाज भारी होना , एडम्स एप्पल का दिखाई देना, शिश्न का खड़ा होना, वक्ष स्थल पर बाल आना आदि।
इसी प्रकार लड़कियों में स्तनों का बड़ा होना , निप्पल की त्वचा का गहरा होना, आवाज का पतला होना, त्वचा का कोमल एवं चमकीला होना, रजोधर्म प्रारंभ होना आदि।
यह सभी परिवर्तन धीमी गति से होते हैं तथा यह लैंगिक परिपक्वता की निशानी है। किशोर अवस्था की इस अवधि को योनारंभ (puberty) कहते हैं।
बाह्य और आंतरिक निषेचन की परिभाषा
बाह्य और आंतरिक निषेचन : लैंगिक जनन में दो भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के जनन युग्मको का परस्पर संलयन होता है। पौधों में एवं कुछ जीवो में यह कार्य शरीर से बाहर होता है, इसलिए इसे बाह्य निषेचन कहते हैं। जबकि मनुष्य में एवं कुछ अन्य जीवों में यह कार्य शरीर के अंदर होता है, इसलिए इसे आंतरिक निषेचन कहते हैं।
एक बार इन्हें जरूर पढ़े
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Class 10th Science Chapter-08 जीव जनन कैसे करते हैं part – 03
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Class 10th Science Chapter-08 जीव जनन कैसे करते हैं part – 02
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Class 10th Science Chapter-08 जीव जनन कैसे करते हैं part – 01
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Class 10th Science Chapter-07 नियंत्रण एवं समन्वय part – 03
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Class 10th Science Chapter-07 नियंत्रण एवं समन्वय part – 02
मानव में नर जनन तंत्र
मानव में नर जनन तंत्र : मानव नर जनन तंत्र के मुख्य चार भाग होते हैं वृषण, शुक्रवाहिका , शुक्राशय एवं मूत्र मार्ग
मनुष्य में दो वृषण उदर गुहा के बाहर वृषण कोष में स्थित होते हैं। वृषण की शुक्र जनन कोशिकाओं से शुक्राणु का निर्माण होता है। वृषण से नर जनन हार्मोन टेस्टोस्टेरोन भी स्रावित होता है जो शुक्राणु के उत्पादन एवं नर के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के विकास पर नियंत्रण रखता है।
वृषण से शुक्राणु, शुक्र वाहिका द्वारा शुक्राशय तक पहुंचाते हैं। वहां से मैथुन के समय मूत्र मार्ग में डाल दिए जाते हैं। यहीं पर पास में प्रोस्टेट ग्रंथियां होती है, जो अपना श्राव मूत्र मार्ग में डालती हैं। यह श्राव मूत्रमार्ग को क्षारीय बनाता है तथा शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करता हैं। साथ ही एक तरल माध्यम प्रदान करता है जिससे शुक्राणु आसानी से गति कर सकें।
मानव में मादा जनन अंग
मानव में मादा जनन अंग : मादा जनन तंत्र के मुख्यतः चार भाग होते हैं: अंडाशय, अंडवाहिनी, गर्भाशय एवं योनि।
मादा दो अंडाशय उदरगुहा में मेरुदंड के दोनों और होते हैं। लड़की के जन्म के समय ही प्रत्येक अंडाशय में हजारों अपरिपक को अंडे होते हैं। योन आरंभ के समय दोनों में से एक अंडाशय द्वारा प्रतिमाह एक अंडा परिपक्व होना प्रारंभ हो जाता है। जो अंडवाहिनी द्वारा गर्भाशय तक ले जाए जाते हैं। दोनों तरफ की अंडवाहिनी आपस में संयुक्त होकर एक लचीली एवं पेशीय थैले जैसी संरचना का निर्माण करती है, जिसे गर्भाशय कहते हैं। गर्भाशय ग्रीवा द्वारा योनि में खुलता है।
मैथुन के समय शुक्राणु योनि मार्ग में डाले जाते हैं। जहां से वह गति करते हुए अंडवाहिनी में पहुंचते हैं। यहीं पर निषेचन की क्रिया होती है। निषेचन के बाद युग्मनज गर्भाशय में स्थापित होता है तथा विभाजित होकर वृद्धि करने लगता है। अतः गर्भाशय प्रत्येक माह भ्रूण को ग्रहण करने एवं उसके पोषण की तैयारी करता है।
भ्रूण को पोषण मां के रुधिर से मिलता है। इसके लिए विशेष संरचना प्लेसेंटा होती है जो एक तश्तरीनुमा संरचना होती है। जो गर्भाशय की दीवार में धंसी होती है। यह मां के रुधिर से भ्रूण को ग्लूकोज ,ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानांतरण हेतु वृहद क्षेत्र प्रदान करती है। भ्रूण के अपशिष्ट पदार्थ भी प्लेसेंटा द्वारा मां के रुधिर में पहुंच जाते हैं। लगभग 9 महीने भ्रूण यहां रहता हैं। फिर गर्भाशय की पेशियां के लयबुद्ध संकुचन से शिशु का जन्म होता है।
क्या होता है जब अंडे का निषेचन नहीं होता
क्या होता है जब अंडे का निषेचन नहीं होता: अंडाशय से प्रत्येक माह एक अंड परिपक्व होता है। साथ ही गर्भाशय इसे धारण करने की तैयारी करता है। गर्भाशय की भित्ति मोटी मांसल एवं स्पंजी हो जाती है। इसमें रक्त प्रवाह भी बढ़ जाता है।
यदि अंडे का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग एक दिन जीवित रहता है। इसके बाद यह मृत हो जाता है और गर्भाशय की भित्ति का भी उपयोग नहीं कर पाता हैं। अतः अनिषेचित और गर्भाशय की भित्ति के टुकड़े म्यूकस एवं कुछ रुधिर योनि मार्ग से बाहर निकलते हैं, इसे रजोधर्म या ऋतु – स्राव कहते हैं। इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिन की होती है। यह चक्र लगभग 28 दिन में बार-बार दोहराया जाता है।
जनन स्वास्थ्य और गर्भधारण को रोकने के लिए उपाय
जनन स्वास्थ्य : अनेक रोगों का संचरण योन क्रियाओ से होता है, क्योंकि यौन क्रिया में प्रगाढ़ शारीरिक संबंध स्थापित होते हैं यह रोग सामान्यतः गोनेरिया, सिफलिस वॉरट (मस्सा) रोग एवं HIV – AIDS आदि हो सकते हैं। इन रोगों के संचरण को कंडोम के प्रयोग से रोका जा सकता है।
गर्भधारण को रोकने के लिए उपाय : गर्भधारण को रोकने के लिए कंडोम, कॉपर टी, लूप हार्मोनल गोलियां आदि काम में लिए जाते हैं। शल्य क्रिया द्वारा यदि पुरुष की शुक्रवाहिकाओ को अवरूद्ध कर दें तो शुक्राणुओं का स्थानांतरण रुक जाएगा। इसी प्रकार यदि महिला की अंडवाहानी या फैलोपियन ट्यूब को अवरूद्ध कर दिया जाए तो अंड गर्भाशय तक नहीं पहुंच पाएगा दोनों परिस्थितियों में निषेचन नहीं होता है, इस प्रक्रिया को क्रमश: वेसेक्टोमी एवं ट्यूबेक्टोमी कहते हैं। शल्य क्रिया से अनचाहे गर्भ को हटाया जा सकता है।
हमारे देश में भ्रूण का लिंग निर्धारण एक कानूनी अपराध है। फिर भी कुछ लोग गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या कर देते हैं। जिससे देश में लिंगानुपात तीव्रता से घट रहा है। एक स्वस्थ समाज के लिए मादा – नर लिंग अनुपात बनाए रखना आवश्यक होता है।
जन्म दर एवं मृत्यु दर के आधार पर जनसंख्या का विशाल आकार बहुत चिंता का विषय है। इसके कारण लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना एक कठिन कार्य है। इससे सामाजिक असमानता पैदा होती है। अतः जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक होता है।
The Chapter End
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