Class 10th Science Chapter-10 प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन part -02 प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन पाठ का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
Table of Contents
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-10 प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन part -02 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- गोलीय दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब को बनाने के नियम
- गोलीय दर्पण द्वारा अलग अलग स्थिति में वास्तु को रखकर प्रतिबिम्ब का बनना
- गोलीय दर्पणों के उपयोग
- दर्पण का सूत्र
- रेखीय आवर्धन
गोलीय दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब को बनाने के नियम
गोलीय दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना :- किसी प्रतिबिम्ब को बनाने के लिए निम्नलिखित तीन नियमो का पालन करना पड़ता है –
1:नियम : यदि कोई प्रकाश की किरण दर्पण के वक्रता केंद्र से होकर जाती है, तो वह दर्पण से टकराकर वापस 180 अंश के कोण पर लौट जाती है |
2: नियम : यदि कोई प्रकाश की किरण मुख्य फोकस से होकर दर्पण पर पडती है , तो वह दर्पण से टकराकर, परिवर्तित होकर दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर होकर गुजरती है |
3: नियम : यदि कोई प्रकाश की किरण मुख्य अक्ष के समांतर दर्पण पर पडती है , तो वह दर्पण से टकराकर परिवर्तित होकर दर्पण के मुख्य फोकस से होकर गुजरती है |
गोलीय दर्पण द्वारा अलग अलग स्थिति में वास्तु को रखकर प्रतिबिम्ब का बनना
गोलीय दर्पण द्वारा बनाए गए प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति और आकार की निर्धारण के लिए, बिम्ब से आने वाले प्रकाश की दो किरणों को लेकर उनपर विचार किया जाता है। इसके लिए, बिम्ब से दर्पण की मुख्य अक्ष के समानांतर एक किरण और दर्पण के वक्रता केंद्र से गुजरने वाली एक किरण को विचार के लिए लिया जाता है। इन दोनों किरणों का दर्पण से परावर्तन के बाद, मिलन बिन्दु पर ही प्रतिबिम्ब बनता है।
अत: इस प्रकार अवतल दर्पण द्वारा कुल बनने वाले प्रतिबिम्ब की संख्या 6 है और उत्तल द्वारा कुल दो है | आइये एक एक करके इन सभी को किरण आरेख की सहायता से समझते है |
अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनाना
1: जब बिम्ब (Object) अनंत पर स्थित हो
1: जब बिम्ब (Object) अनंत पर हो, तो अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना : अनंत पर स्थित वस्तु से आने वाली किरणें, जो मुख्य अक्ष के समानांतर होती हैं, अवतल दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य फोकस पर प्रतिष्ठित होती हैं।
- प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): क्योंकि वस्तु से आने वाली किरणें अवतल दर्पण से परावर्तित होकर फोकस पर प्रतिष्ठित होती हैं, इसलिए प्रतिबिम्ब फोकस (F) पर बनता है।
- प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): अत्यधिक छोटा, लगभग एक बिन्दु के आकार का (Highly diminished, point sized)
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image): वास्तविक और उल्टा (Real and Inverted)
Note: वस्तु अनंत पर होने के कारन प्रतिबिम्ब फोकस पर बहुत छोटा , उल्टा और वास्तविक बनता है
2: जब बिम्ब वक्रता केन्द्र से परे हो
2: जब बिम्ब वक्रता केन्द्र से परे हो (Object is beyond Centre of Curvature (C)):जब वस्तु अथवा बिम्ब गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या से परे होती है, तब बिम्ब की स्थिति में बिम्ब से आने वाली किरणें दर्पण से परावर्तन के पश्चात मुख्य फोकस से गुजरती हैं। इस स्थिति में प्रतिबिम्ब फोकस और वक्रता केंद्र के बीच बनता है।
- प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image) : मुख्य फोकस (F) तथा वक्रता केन्द्र (C) के बीच
- प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image) : बिम्ब से छोटा (Diminished than image)
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
Note : वस्तु अनंत व c के मध्य होने पर प्रतिबिम्ब c व f के बीच छोटा , उल्टा और वास्तविक बनता है |
3: बिम्ब (Object) के वक्रता केन्द्र पर हो
3: बिम्ब (Object) के वक्रता केन्द्र (Center of curvature) पर अवस्थित होने की स्थिति में अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का निर्माण : बिम्ब (वस्तु) की स्थिति जब वक्रता केंद्र [वक्रता केंद्र (C)] पर होती है, तो वक्रता केंद्र (C) पर ही अवतल दर्पण (Concave mirror) द्वारा एक उलटा और समान आकार (Size) का प्रतिबिम्ब (Image) बनाया जाता है।
- प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): वक्रता केन्द्र (C) पर
- प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): समान आकार (Same size)
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
Note :वस्तु c पर होने के कारन प्रतिबिम्ब c पर बराबर आकर का उल्टा व वास्तविक बनता है |
4:जब बिम्ब वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच हो
4:जब बिम्ब (Object) वक्रता केन्द्र [Center of curvature (C)(C) ] तथा फोकस [Focus (F)(F)]के बीच हो तो अवतल दर्पण (Concave mirror) द्वारा प्रतिबिम्ब का निर्माण : बिम्ब (वस्तु) जब वक्रता केंद्र [वक्रता केंद्र (C)] और फोकस [फोकस (F)] के बीच में होती है, तो अवतल दर्पण (Concave mirror) द्वारा वक्रता केंद्र से परे और अनंत के मध्य प्रतिबिम्ब बनाया जाता है।
- प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): वक्रता केन्द्र (C)(C) से परे
- प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): विवर्धित (Enlarged)
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
Note: वस्तु c व f के बीच होने के कारन प्रतिबिम्ब c व अनंत के बीच बड़ा उल्टा , और वास्तविक बनता है |
5: जब बिम्ब फोकस पर हो
5: जब बिम्ब फोकस (F)(F) पर हो तो अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का निर्माण :जब बिम्ब अथवा वस्तु फोकस (F)(F) पर होता है, तो अवतल दर्पण द्वारा अनंत पर प्रतिबिम्ब बनाया जाता है।
- प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): अनंत पर
- प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): अत्यधिक विवर्धित (Highly Enlarged)
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
Note : वस्तु f पर होने के कारन प्रतिबिम्ब अनंत पर उल्टा बड़ा और वास्तविक बनता है |
6: बिम्ब के फोकस तथा ध्रुव के बीच
6: बिम्ब के फोकस (F)(F) तथा ध्रुव (P)(P) के बीच होने की स्थिति में अवतल दर्पण द्वार प्रतिबिम्ब का निर्माण : जब बिम्ब अवतल दर्पण के फोकस (F)(F) और ध्रुव (P)(P) के बीच स्थित होता है, तो दर्पण के पीछे एक आभासी, सीधा और विवर्धित प्रतिबिम्ब बनता है।
- प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): दर्पण के पीछे
- प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): विवर्धित (Enlarged)
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : आभासी तथा सीधा (Virtual and Erect)
Note: वस्तु f व p के मध्य होने के कारन प्रतिबिम्ब आभासी बड़ा सीधा बनता है जो दर्पण के पीछे होता है |
उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनाना
उत्तल दर्पण में वस्तु को अलग अलग स्थिति में रखने पर प्रतिबिम्ब का बनना : इसमें केवल दो ही स्थितियां सम्भव है :
- जब वस्तु अनंत पर होती है तो प्रतिबिम्ब f पर वास्तु से छोटा आभासी व सीधा बनता है |
2: जब वस्तु कहीं पर भी होती है तो प्रतिबिम्ब f व p के मध्य छोटा आभासी सीधा बनता है |
गोलीय दर्पणों के उपयोग
अवतल दर्पण के उपयोग :-इसके निम्नलिखित उपयोग है –
1- अधिक फोकस दुरी के अवतल दर्पण का उपयोग हजामत बनाने के कम में आता है |
2- छोटे अवतल दर्पण का उ[उपयोग डोक्टर आँख , नाक आदि का निरिक्षण करने में करता है |
3- टेबल लैंप में अवतल दर्पण का उपयोग प्रकाश को फ़ैलाने में किया जाता है |
उत्तल दर्पण के उपयोग :- इसके निम्नलिखित उपयोग है –
1- बाजारों व गलियों में लगे लैंप में इसका उपयोग प्रकाश को फ़ैलाने में किया जाता है |
2- इसका उपयोग वाहनों में ड्राइवर की सिट के पास में किया जा ता है ताकि ड्राइवर पीछे से आने वाले वाहनों को देख सके|
दर्पणों में चिन्ह परिपाटी :- इसे निम्न चित्र द्वारा अछे से समझा जा सकता है –
दर्पण का सूत्र
दर्पण का सूत्र :- यदि किसी दर्पण की फोकस दुरी f है और u वस्तु और दर्पण के बीच की दुरी है और दर्पण इसका प्रतिबिम्ब v दुरी पर बनाता है तब –
रेखीय आवर्धन :- किसी दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की लम्बाई और वस्ती की लम्बाई का अनुपात दर्पण का रेखीय आवर्धन कहलाता है इसे m से प्रदर्शित करते है अर्थात –
नोट :- आभाशी प्रतिबिम्ब में यह धनात्मक होता है जबकि वास्तविक में यह ऋणात्मक होता है|
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