Class 10th Science Chapter-10 प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन part -01 प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन पाठ का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
Table of Contents
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-10 प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन part -01 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- प्रदीप्त वस्तुए और अप्र्दिप्त वस्तुए
- प्रकाश के गुण और परावर्तन के नियम
- दर्पण और इसके प्रकार
- अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण
- गोलीय दर्पणों से सम्बन्धित परिभाषाये
- दर्पण का धुर्व, वक्रता त्रिज्या , वक्रता केंद्र, फोकस अथवा मुख्य फोकस, फोकस दुरी, फोकस तल
- गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या एवं फोकस दुरी में सम्बन्ध
प्रदीप्त वस्तुए और अप्र्दिप्त वस्तुए
प्रकाश :- यह एक प्रकार की उर्जा है जो हमरी आँखों को संवेदित करती है | इसी के कारण हमे वस्तुए दिखाई देती है | क्योंकि वस्तुए हमे केवल तभी दिखाई देती है | जब प्रकाश इनसे टकराकर हमारी आँखों पर पड़ता है |
प्रदीप्त वस्तुए :- वे वस्तुए जो स्वं प्रकाश उत्पन्न करती है प्रदीप्त वस्तुए कहलाती है | जैसे सूर्य , तारे , जलता हुआ बल्ब आदि |
अप्र्दिप्त वस्तुए :- वे वस्तुए जो स्वं प्रकाश उत्पन्न नही करती है अप्रदीप्त वस्तुए कहलाती है | जैसे मेज , कुर्आसी , चन्दिद्रमा , पेड़ पौधे आदि |
प्रकाश के गुण और परावर्तन के नियम
प्रकाश के गुण :- इसमें निम्नलिखित गुण पाए जाते है :-
- प्रकाश के कारण हम वस्तुए देख पाते है लेकिन स्वं प्रकाश दिखाई नही देती है |
- प्रकाश विद्युत चुम्बकीय तरंगो के रूप में चलता है |
- द्रश्य प्रकाश की तरंगधैर्य 3900A से लेकर 78000A तक होता है
- प्रकाश के संचरण के लिए किसी माध्यम की जरूरत नही पडती है | अर्थात यह निर्वात में भी गमन कर सकता है |
- प्रकाश सीधी रेखा में गति करता है |
प्रकाश का परावर्तन :- जब प्रकाश किसी चिकने पोलिस दार पृष्ट जैसे दर्पण आदि पर पड़ता है, तो उससे टकराकर उसी माध्यम में वापस लौट जाता है यह घटना प्रकाश का परावर्तन कहलाती है |
परावर्तन के नियम :– प्रकाश के परावर्तन दो नियम होते है जो निम्नलिखित है –
1- प्रथम नियम :- आपतित किरण , परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तीनो एक ही तल में होते है |
2- द्वितीय नियम :- परावर्तन कोण सदेव आपतन कोण के बराबर होता है |
दर्पण और इसके प्रकार, अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण
दर्पण :- कोई चिकना तल जिसके एक पृष्ट पर कलाई करके प्रवर्तक बना दिया गया हो दर्पण कहलाता है | जैसे :- कांच के एक और कलाई करके समतल दर्पण बनया जाता है |
गोलीय दर्पण :- वे दर्पण जो कांच के खोखले गोले के कटे भाग से बनाये जाते है गोलीय दर्पण कहलाते है | ये दो प्रकार के होते है –
- अवतल दर्पण
- उत्तल दर्पण
अवतल दर्पण :- वे गोलीय दर्पण जो उभरे हुए तल पर कलाई करके अंदर वाले पृष्ट को परावर्तक बनाकर बनाये जाते है, अवतल दर्पण कहलाते है |
एक बार इन्हें भी पढ़े
उत्तल दर्पण :- वे गोलीय दर्पण जो दबे हए तल पर कलाई करके बाहरी पृष्ट को परावर्तक बनाकर बनाये जाते है, उत्तल दर्पण कहलाते है |
गोलीय दर्पणों से सम्बन्धित परिभाषाये दर्पण का धुर्व, वक्रता त्रिज्या , वक्रता केंद्र, फोकस अथवा मुख्य फोकस, फोकस दुरी, फोकस तल
दर्पण का धुर्व :- दर्पण में परावर्तक तल के केंद्र बिंदु को दर्पण का धुर्व कहते है |
वक्रता केंद्र :- गोलीय दर्पण काँच के जिस खोखले गोले का भाग होता है उस गोले के केंद्र को वक्रता केंद्र कहते है |
वक्रता त्रिज्या : गोलीय दर्पण कांच के जिस खोखले गोले का भाग होता है उसकी त्रिज्या दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है |
फोकस अथवा मुख्य फोकस :- गोलीय दर्पण में मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली प्रकाश की किरने , दर्पण से परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के एक निश्चित बिंदु पर या तो वास्तव में मिलती है या मुख्य अक्ष के एक निश्चित बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है इस बिंदु F को दर्पण का मुख्य फोकस कहते है |
फोकस दुरी :- गोलीय दर्पण के धुर्व तथा फोकस बिंदु के बीच की दुरी को दर्पण की फोकस दुरी कहते है इसे f से प्रदर्शित करते है |
फोकस तल :- फोकस बिंदु से होकर जाने वाले तथा दर्पण के मुख्य अक्ष के लम्बवत तल को फोकस तल कहते है |
गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या एवं फोकस दुरी में सम्बन्ध :- गोलीय दर्पणों के लिए वक्रता त्रिज्या फोकस दुरी के दो गुने के बराबर होती है | अर्थात –
R = 2 f या F = R/2