Class 10th Science Chapter-11 मानव नेत्र और रंग बिरंगा संसार part -01 मानव नेत्र और रंग बिरंगा संसार का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-11 मानव नेत्र और रंग बिरंगा संसार part -01 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- मानव नेत्र एवं इसके महत्वपूर्ण अंग
- नेत्र की समंजन क्षमता और निकट व दूर बिंदु
- दृष्टि दोष एवं इसके प्रकार
- निकट दृष्टि दोष , कारण और इसका उपाय
- दूर दृष्टि दोष कारण और इसका उपाय
मानव नेत्र एवं इसके महत्वपूर्ण अंग
मानव नेत्र :- मनुष्य में व अन्य जिव जन्तुओ में एक विशेष अंग नेत्र पाया जाता है , जो संसार के विभिन्न भागो को देखने में सहायता करता है यह एक कैमरे की भांति कार्य करता है इसके विशेष अंग निम्नलिखित है –
दृढ पटल :- मनुष्य का नेत्र लगभग गोल आकार का होता है , इसकी बाहरी परत स्वेत अपारदर्शी तथा दृढ होती है जिसे दृढ पटल कहते है | यह नेत्र के आंतरिक अंगो की सुरक्षा करती है |
कार्निया ;- दृढ पटल के सामने का उभरा हुआ आकार कार्निया कहलाता है | प्रकाश इसी भाग से होकर हमारी आँख में प्रवेश करता है |
आइरिस :- कार्निया के पीछे एक रंगहीन अपारदर्शी झिल्ली लगी रहती है , जिसे आइरिस कहते है | यह पुतली के आकार को नियंत्रित करती है |
नेत्र लेंस :- आइरिस के ठीक पीछे एक लेंस लगा रहता है जिसे नेत्र लेंस कहते है| यह ससार का एक मात्र एसा लेंस है जो आवश्यकता अनुसार फोकस दुरी को परिवर्तित कर पास की वस्तु व दूर की वस्तु को देखने के लिए उपयोग किया जा सकता है |
रेटिना :- कोरोइड झिल्ली के ठीक नीचे नेत्र के सबसे अंदर की ओर एक झिल्ली लगी रहती है जिसे रेटिना कहते है | मानव नेत्र सभी वस्तु के उलटे प्रतिबिम्ब रेटिना पर ही बनाता है | रेटिना प्रकाशिक शिराओ के द्वारा इस प्रतिबिम्ब को मष्तिष्क तक पहुंचाता है ,जहाँ मष्तिष्क इसे सीधा करके देखता है |
पित बिंदु :- रेटिना का वह भाग जिस पर बना प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखाई देता है , पित बिंदु कहलाता है | यह नेत्र लैंस के ठीक सामने वाला भाग होता है |
अंध बिंदु ;- रेटिना का वह भाग जिस पर बना प्रतिबिम्ब स्पष्ट नही दिखाई देता है , अंध बिंदु कहलाता है | यह प्रकाशिक शिराओ के पाश वाला बिंदु होता है |
नेत्र की समंजन क्षमता और निकट व दूर बिंदु
नेत्र की समंजन क्षमता :- नेत्र लेंस की फोकस दुरी बदल पाने की क्षमता नेत्र की समंजन क्षमता कहलाती है | इसकी कमजोरी के कारण मानव नेत्र की दृष्टि में दोष उत्पन्न हो जाते है |
निकट बिंदु :- वह बिंदु जिसे नेत्र अपनी अधिकतम क्षमता लगाकर देख सकता है निकट बिंदु कहलाता है | स्वस्थ मानव नेत्र के लिए इसका मान 20 सेमी से 25 सेमी तक होता है |
दूर बिंदु :- वह बिंदु जिसे नेत्र कम से कम समंजन क्षमता लगाकर देख सकता है , दूर बिंदु कहलाता है | स्वस्थ मानव नेत्र के लिए इसका मान अनंत होता है |
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दृष्टि दोष एवं इसके प्रकार
दृष्टि दोष :- समय अनुसार मानव के नेत्र में अनेक आभाव आते रहते है जिन्हें दृष्टी दोष कहते है | ये जन्म – जात भी हो सकते है और अधिक उम्र होने के कारण भी हो सकते है | सामान्यत: मानव नेत्र में सामान्यत: निम्न प्रकार के दोष पाए जाते है –
- निकट दृष्टि दोष
- दूर दृष्टि दोष
- जरा दूरदर्शिता
- अबिन्दुकता
- रंग भेद अथवा वर्णअन्धता
निकट दृष्टि दोष , कारण और इसका उपाय
निकट दृष्टि दोष :- मानव नेत्र का वह दोष होता है , जिसमे मानव पास की वस्तु को स्पष्ट देख सकता है पंरतु दूर स्थित वस्तु को स्पष्ट नही देख पाता है निकट दृष्टि दोष कहलाता है |
मुख्य कारण :- इस दोष के मुख्य कारण निम्नलिखित है –
1- नेत्र लेंस की वक्रता त्रिज्या का बढ़ जाना |
2- नेत्र गोलक का आकार बढ़ जाना |
निवारण :- इस दोष का निवारण उचित फोकस दुरी के अवतल लेंस का उपयोग करके किया जा सकता है |
दूर दृष्टि दोष कारण और इसका उपाय
दूर दृष्टि दोष :- मानव नेत्र का वह दोष होता है , जिसमे मानव दूर की वस्तु को स्पष्ट देख सकता है पंरतु पास स्थित वस्तु को स्पष्ट नही देख पाता है, दूर दृष्टि दोष कहलाता है |
मुख्य कारण :- इस दोष के मुख्य कारन निम्नलिखित है –
1- नेत्र लेंस की वक्रता त्रिज्या का घट जाना |
2- नेत्र गोलक का आकार घट जाना |
निवारण :- इस दोष का निवारण उचित फोकस दुरी के उत्तल लेंस का उपयोग करके किया जा सकता है |
जरा दूर द्रष्टिता, अबिन्दुकता और वर्नान्धता दृष्टि दोष
जरा दूर द्रष्टिता :- मानव नेत्र का वह दोष जिसमे वह न तो पास की वस्तु को स्पष्ट देख सकता है और न ही दूर की वस्तु को स्पष्ट देख सकता है जरा दूर दृष्टिता कहलाता है |
इसक प्रकार के व्यक्ति को दोनों दोष , अर्थात निकट दृष्टि दोष व दूर दृष्टि दोष एक साथ हो जाते है इसका निवारण द्वि – फोक्सी लेंस का उपयोग करके किया जाता है |
अबिन्दुकता :- मानव नेत्र का वह दोष जिसमे एक ही दुरी पर रखी क्षैतिज तथा उर्ध्वाधर वस्तुए रेटिना पर एक साथ फोकस नही होती है अबिन्दुकता कहलाता है |
कारण : इस दोष के कारण क्षैतिज दिशा में अथवा उर्ध्वाधर दिशा में वस्तु धुंधली दिखाई देती है | इस दोष का कारण कार्निया का पूर्ण रूप से गोल न होना है |
निवारण : इस दोष का निवारण बेलनाकार लेंस का उपयोग करके किया जाता है |
वर्नान्धता अथवा वर्णाधार दृष्टि दोष :- मानव नेत्र का वह दोष जिसमे वह रंग की पहचान करने में असमर्थ होता है वर्नान्धता अथवा वर्णाधार दृष्टि दोष कहलाता है |
इस दोष का कोई निवारण नही है अत: इसे दूर करने के लिए नेत्र स्थानातरित किये जाते है | यह दोष समान्यत: जन्मजात होता है |