Class 10th Science Chapter-13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव part – 01विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
Table of Contents
ToggleIf you need online tutor or help for any questions like mathematics, physics, chemistry numerical or theory then you can contact me on whatsapp on +918755084148 or click here. Our team help you all time with cheap and best price. If need it on video our team provide you short video for your problem. So keep in touch of our team specialists.
What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव part – 01 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- चुम्बक और इसके गुण व इसके प्रकार
- चुम्बकीय क्षेत्र और क्षेत्र रेखाएं
- किसी विद्युत धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
- दक्षिण – हस्त अंगुष्ट नियम
चुम्बक और इसके गुण व इसके प्रकार
चुम्बक :- लोहे इस्पात आदि का वह टुकड़ा जो लोहे की वस्तुओ को अपनी और आकर्षित करता है , चुम्बक कहलाता है | चुम्बक दो प्रकार की होती है –
1-प्राक्रतिक चुम्बक :- प्रक्रति में सवतंत्र रूप में पाए जाने वाले उस पदार्थ को प्राक्रतिक चुम्बक कहते है जो लोहे को अपनी और आकर्षित करता है | इनकी प्रबलता अधिक नही होती है |
2:- क्रत्रिम चुम्बक :– क्रत्रिम विधियों द्वारा बनाई गई चुमबक को क्रत्रिम चुम्बक कहते है| ये लोहे , इस्पात , कोबाल्ट आदि से बनाई जाती है | अवश्यकतानुसार इनकी आकृति कुछ भी हो सकती है | जैसे छड चुम्बक , नाल चुम्बक , चुम्बकीय सुई , चुम्बकीय कम्पास आदि |
चुम्बक के गुण :- चुम्बक में निम्नलिखित गुण पाए जाते है –
- चुम्बक लोहे को अपनी और आकर्षित करती है चुम्बक के इस गुण को चुम्बकत्त्व कहते है |
- चुम्बक के समीप आकर्षण अधिक होता है परन्तु दूर आकर्षण कम होता है |
- चुम्बक को सवतन्त्र पूर्वक लटकाने पर वह सदेव उत्त्तर दक्षिण दिशा में ठहरती है |
- चुम्बक के समान धुर्व एक दुसरे को प्रतिकर्षित करते ही जबकी असमान एक दुसरे को आकर्षित करते है |
- एक अकेले चुम्बकीय धुर्व का कोई अस्तित्व नही होता है |
एक बार इन्हें जरूर पढ़े
चुम्बकीय क्षेत्र और क्षेत्र रेखाएं
चुम्बकीय क्षेत्र :- किसी चुम्बक के चारो और का वह क्षेत्र में जिसमे उसके चुम्बकीय प्रभाव या बल का अनुभव किया जा सकता है , उसे चुम्बक का चुबकिय क्षेत्र कहलाता है |
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं :- चुम्बकीय क्षेत्र में खिंची गयी वे निष्कोन काल्पनिक वक्र रेखाए जिन पर खिंची गयी स्पर्श रेखाए चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं कहलाती है, इन्ही को चुम्बकीय बल रेखाएं भी कहते है |
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओ के सामान्य गुण :- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए निम्नलिखित गुण प्रदर्शित करती है –
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए उत्तरी धुर्व से शुरू होकर दक्षिणी धुर्व में प्रवेश करती है जबकि चुम्बक के अंदर ये दक्षिणी धुर्व से शुरू होकर उत्तरी धुर्व की और जाती है |
- चुम्बक के समीप ये अधिक प्रबल होती है जबकि दूर जाने पर ये निर्बल होती है |
- चुबकिय बल रेखाएं एक बंद वक्र बनाती है |
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए एक दुसरो को नही काटती है, क्योंकि यदि एसा होता है तो कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएं खिंची जा सकती है , जो उस बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो अलग अलग दिशाओ को बताती है जो की असम्भव है |
- एकसमान चुम्बकीय बल्र रेखाए समान दुरी पर होती है |
किसी विद्युत धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
जब किसी विद्युत चालक में धारा प्रवाहित की जाती है तो धारा के कारण उसके चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो जाता है | इसकी पुष्टि करने के लिए जब द्विकसुची इसके समीप लायी जाती है तो यह विक्षेपित हो जाती है | जिससे स्पष्ट है की इसके चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो गया है |
यदि विद्युत धारा चालक में विद्युत धारा की दिशा सेल की सयाहता से उत्क्रमित कर दी जाए तो द्विकसुची में प्राप्त विक्षेप भी विपरीत ओर प्राप्त होता है | इससे स्पष्ट है की धारा की दिशा परिवर्तित करने पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा भी परिवर्तित हो जाती है |
दक्षिण - हस्त अंगुष्ट नियम
धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए दक्षिण हस्त अंगुष्ट का नियम उपयोग किया जाता है |
इस नियम के अनुसार ” यदि हम अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़ें की हमारा अंगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो , तो हमारी अंगुलियाँ चालक के चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओ की दिशा को प्रदर्शित करती है | “
इसे हम निम्न चित्र से समझ सकते है :
नोट : इस नियम को मैक्सवेल के कोर्कस्क्रू नियम के नाम से भी जाना जाता है | ” जिसके अनुसार जब हम किसी कोर्कस्क्रू को विद्युत धारा की दिशा में आगे बढ़ते है , तो कोर्कस्क्रू के घूर्णन की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है |
IMPORTANT NCERT प्रश्न
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओ के सामान्य गुण :- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए निम्नलिखित गुण प्रदर्शित करती है –
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए उत्तरी धुर्व से शुरू होकर दक्षिणी धुर्व में प्रवेश करती है जबकि चुम्बक के अंदर ये दक्षिणी धुर्व से शुरू होकर उत्तरी धुर्व की और जाती है |
- चुम्बक के समीप ये अधिक प्रबल होती है जबकि दूर जाने पर ये निर्बल होती है |
- चुबकिय बल रेखाएं एक बंद वक्र बनाती है |
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए एक दुसरो को नही कटती है, क्योंकि एसा होता है तो कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएं खिंची जा सकती है , जो उस बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो अलग अलग दिशाओ को बताती है जो की असम्भव है |
- एकसमान चुम्बकीय बल्र रेखाए समान दुरी पर होती है |
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए एक दुसरो को नही काटती है, क्योंकि यदि एसा होता है तो कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएं खिंची जा सकती है , जो उस बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो अलग अलग दिशाओ को बताती है जो की असम्भव है |