Class 10th Science Chapter-13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव part – 03 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव part – 03 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- विद्युत मोटर का सिद्धांत , कार्यविधि एवं उपयोग
- विद्युत चुंबकीय प्रेरण और प्रेरित धारा
- फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम
विद्युत मोटर का सिद्धांत , कार्यविधि एवं उपयोग
विद्युत मोटर: यह एक ऐसी युक्ति है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करती है।
सिद्धांत : जब किसी आयताकार धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उसकी आकृति के कारण उसकी भुजाओ पर बल लगने लगता है जिसके कारण वह घूमने लगती है इस प्रकार विद्युत ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित होने लगती है |
संरचना : चित्र अनुसार विद्युत मोटर में विद्युतरोधी लेप युक्त तांबे के तार की कई घेरों की एक आयताकार कुंडली ABCD होती है। जो चुंबकीय क्षेत्र के बीच में रखी जाती है।
कार्यविधि: सर्वप्रथम बाह्य परिपथ में जुड़े विद्युत स्रोत से आयताकार कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है जिसके कारण दोनों भुजाओं AB व CD में प्रवाहित धारा की दिशा विपरीत होने के कारण बल विपरीत दिशा में कार्य करने लग जाते है और एक बल युग्म उत्पन्न हो जाता है।
यह बल युग्म आयताकार कुंडली को एक निश्चित दिशा में घूमाने लगता है। अतः इस प्रकार विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करती है।
विभक्त वलय : विद्युत मोटर में विभक्त वलय एक द्विक परिवर्तक की भांति कार्य करता है इनके द्वारा हर आधे घूर्णन के बाद कुंडली में विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित होती है और इस प्रकार कुंडली की दोनों भुजाओं में विद्युत धारा की दिशा अपरिवर्तनीय बनी रहती है और कुंडली का घूर्णन एक ही दिशा में होता रहता है ।
उपयोग : विद्युत मोटर का उपयोग अनेक कार्यों में किया जाता है जैसे :
- घरों में प्रयुक्त विद्युत पंखों में
- उद्योगों में प्रयुक्त विद्युत मोटर में
- घरों में प्रयुक्त होने वाली वाशिंग मशीन में
- खेतों में होने वाले सिंचाई पंप में आदि।
विद्युत चुंबकीय प्रेरण और प्रेरित धारा
विद्युत चुंबकीय प्रेरण : किसी कुंडली एवं चुंबक के बीच सापेक्ष गति के कारण कुंडली में उत्पन्न विद्युत का यह प्रभाव विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाता है ।
माइकल फराडे के अनुसार “कुंडली से संबंध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने से वैद्युत विभांतर प्रेरित होता है जिसके कारण परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है इस प्रेरित धारा की दिशा का निर्धारण गैल्वेनोमीटर में विक्षेप की दिशा से होता है । “
नोट : गैल्वेनोमीटर : यह एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति का सनसूचन करता है| इसमें होकर प्रवाहित धारा यदि शून्य होती है तो इसका संकेतन स्केल के ठीक मध्य में अंकित शून्य पर रहता है|
एक बार इन्हें जरूर पढ़े
फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम
फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम : यह नियम प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
इस नियम के अनुसार “ अपने दाहिने हाथ की तर्जनी मध्यमा तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाए की यह तीनों चित्र अनुसार एक दूसरे के लंबवत रहे। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर संकेत करती है तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करता है, तो माध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा को प्रदर्शित करती है।