Excellent Shiksha Class-10th,ऊर्जा के स्रोत Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 01

Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 01


Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 01

Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 01 ऊर्जा के स्रोका ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |

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What We Learn In This Part

इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो  | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे  | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |

Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 01 में महत्वपूर्ण  Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी : 

  1. ऊर्जा के उत्तम स्रोत की विशेषताएं 
  2. उत्तम ईंधन की विशेषताएं
  3. जीवाश्मी ईंधन
  4. तापीय विद्युत संयंत्र
  5. जल विद्युत संयंत्र
Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 01

ऊर्जा का उत्तम स्रोत व उत्तम ईंधन

ऊर्जा का उत्तम स्रोत : ऊर्जा का कोई स्रोत उत्तम स्रोत कहलाता है यदि

  • इसके प्रति एकांक आयतन या प्रति एकांक द्रव्यमान से अधिक मात्रा में कार्य सम्पन्न करना संभव हो
  • इसको सुगमता से उपलब्ध किया जा सके तथा इसका परिवहन भी सुगम हो
  • यह सस्ता हो तथा इसकी ऊर्जा दक्षता अधिक हो
  • इसका भंडारण और उपयोग सरल हो
  • जो नियत दर से लंबे समय तक ऊर्जा उपलब्ध करा सके

 

उत्तम ईंधन : वह ईंधन उत्तम ईंधन कहलाता है जो जलने पर प्रति अलग द्रव्यमान अथवा प्रति एकांक आयतन से अधिक उष्मा उत्पन्न कर सके और जलाने पर न्यूनतम धुआं उत्पन्न करें और आसानी से उपलब्ध हो जाए ।

नोट : अगर हमें भोजन गर्म करना है तो हम सामान्यतः रसोई गैस का उपयोग करते हैं क्योंकि यह वायु प्रदूषण नहीं फैलाता सुगमता से उपलब्ध हो जाती है और आर्थिक दृष्टि से भी सस्ती होती है।

जीवाश्मी ईंधन और तापीय विद्युत संयंत्र

जीवाश्मी ईंधन : जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत होते हैं । जिन्हें बनने में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं और इनके सीमित भंडार ही शेष बचे हैं। अतः इन्हें सुरक्षित करना एवं इनका विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करना अति आवश्यक है। अन्यथा इनके भंडारण शीघ्र ही समाप्त हो जाएंगे । इनके सामान्य उदाहरण पेट्रोल डीजल एलपीजी गैस आदि।

जीवाश्म ईंधन को जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है बल्कि मुक्त होने वाली कार्बन, नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड, अम्लीय ऑक्साइड होते हैं। जो अम्लीय वर्षा कर जल तथा मृदा को प्रदूषित करते हैं।

कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रीनहाउस प्रभाव के लिए उत्तरदाई होती है ।दहन प्रक्रम की दक्षता में वृद्धि करके इन ईंधन के दहन से होने वाले प्रदूषण को कुछ सीमा तक कम किया जा सकता है।

इन इंधनों का उपयोग सामान्यतः विद्युत संयंत्र में विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।

तापीय विद्युत संयंत्र : यह संयंत्र विद्युत उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है इसमें विशाल मात्रा में जीवाश्म ईंधन को दहन करके जल उबालकर भांप बनाते हैं और फिर भांप से टरबाइन को घुमाते हैं जिसके कारण डायनेमो की गति से विद्युत उत्पन्न होती है।

बहुत से तापीय संयंत्र कोयले तथा तेल के क्षेत्र के निकट स्थापित किए गए हैं क्योंकि समान दूरी तक कोयले एवं पेट्रोल की तुलना में परिवहन की दृष्टि से विद्युत संरक्षण अधिक सुगम होता है।

जल विद्युत संयंत्र और बांध

जल विद्युत संयंत्र : जल विद्युत संयंत्र में टरबाइन को घूमने के लिए एक पारंपरिक ऊर्जा स्रोत बहता हुआ पानी अथवा किसी ऊंचाई पर संचित जल को माना जाता है । इस बहते हुए पानी अथवा ऊंचाई पर संचित जल से टरबाइन को घुमाया जाता है जिसके कारण डायनेमो से विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है।

जल विद्युत उत्पादन के लिए नदियों के भाव को रोक कर बड़े जलाशयो में जल संचित करने के लिए ऊंचे ऊंचे बांध बनाए जाते हैं क्योंकि यह ऊर्जा सामान्यतः बहुत कम खर्चे में उत्पन्न होती है।

जल विद्युत संयंत्र द्वारा विद्युत उत्पादन के निम्नलिखित चरण है:

  1. बांध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल बांध के आधार के निकट स्थापित टरबाइन के ब्लड पर मुक्त रूप से गिराया जाता है।
  2. टरबाइन के ब्लड पर गिरते हुए जल की गतिज ऊर्जा से ब्लड घूर्णन गति करने लगते हैं।
  3. टरबाइन की घूर्णन गति से डायनेमो की सॉफ्ट घूमने लगती है।
  4. इस प्रकार डायनेमो द्वारा विद्युत उत्पादन किया जाता है।

बड़े-बड़े बांधों के निर्माण से उत्पन्न होने वाली समस्याएं:

  1. नदियों पर बांधों के निर्माण से उपजाऊ कृषि भूमि का उत्पादन बहुत बड़ा क्षेत्र बांध के पानी में डूब जाता है।
  2. बांध के दुबे क्षेत्र में आने वाले गांव एवं शहर के लोगों को विस्थापन का संकट झेलना पड़ता है क्योंकि यह बहुत बड़े क्षेत्र में बनाए जाते हैं।
  3. बांध एवं उसके आसपास के पारिस्थितिक तंत्र के नष्ट होने से पर्यावरण में अवांछित परिवर्तन आ जाते हैं।
  4. बांध के क्षेत्र में आने वाली वनस्पति पेड़ पौधे आदि जल में डूब जाते हैं और वायु की अनुपस्थिति में सड़ने लगते हैं। जिसके विघटन द्वारा विशाल मात्रा में मीथेन गैस प्राप्त होती है जो एक ग्रीन हाउस गैस है।

नोट: इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए पर्यावरण प्रेमी जनों के द्वारा गंगा नदी पर टिहरी बांध और नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध का निर्माण का विरोध किया गया।

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