Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 02 ऊर्जा के स्रोत का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 02 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- जैव मात्रा (बायोमास)
- जैव गैस और इसका उत्पादन
- पवन ऊर्जा
- पवन चक्की व इसके लाभ व हानि
जैव मात्रा (बायोमास)
जैव मात्रा (बायोमास): जो ईंधन पादपो एवं जंतुओं के उत्पाद होते हैं, इन इंधनों के स्रोत को जैव मात्रा कहते हैं। यह ऊर्जा की नवीकरणीय स्रोत होती है।
इन स्रोतों से प्राप्त ईंधन प्रयोग में लेने पर प्रमुख समस्या देखी जा सकती है :
- ये ईंधन अधिक ऊष्मा उत्पादन नहीं कर पाते है।
- इन इंधनों को जलाने पर अधिक धुंआ उत्पन्न होता है।
- इन इंधनों की दक्षता बहुत कम होती है।
एक बार इन्हें जरूर पढ़े
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Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 03
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Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 02
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Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 01
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Class 10th Science Chapter-13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव part – 04
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Class 10th Science Chapter-13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव part – 03
जैव गैस व जैव गैस के उत्पादन के प्रमुख चरण
जैव गैस: जीवो के अपशिष्ट पदार्थ से उत्पन्न होने वाली गैस को जैव गैस कहते हैं| इसमें सामान्यतः मीथेन गैस होती है जो बिना धुआं के जलती है।
जैव गैस के उत्पादन के प्रमुख चरण : इसे ईंटों से बनी गुंबद जैसी संरचना वाले एक संयंत्र में उत्पन्न किया जाता है जिसे चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
1: जैव गैस बनाने के लिए सबसे पहले मिश्रण टंकी में गोबर तथा जल का एक गाढ़ा घोल जिसे कर्दम कहते हैं बनाया जाता है।
2: अब तैयार हुई कर्दम को संपाचित्र (डाइजेस्टर) में पहुंचाया जाता है। यह चारों ओर से बंद एक ऑक्सीजन रहित कक्ष होता है।
3:संपाचित्र के भीतर अवायवीय सूक्ष्म जीव जिन्हें जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है गोबर की सलरी से जटिल यौगिको का अपघटन करते हैं। अपघटन की इस प्रक्रिया में कई दिन लगते हैं।
4: अपघटन की प्रक्रिया पूरी होने पर मीथेन , कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसे उत्पन्न होती हैं। जिन्हें संपाचित्र के ऊपर बनी गैस टंकी में संचित किया जाता है।
5: जैव गैस को उपयोग में लेने के लिए पाइप द्वारा गैस टंकी से बाहर निकाल लिया जाता है।
6: जैव गैस यंत्र में शेष बची सलरी में नाइट्रोजन तथा फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं जो एक उत्तम खाद होती है। जिसे आवश्यकता अनुसार समय-समय पर बाहर निकाल कर खेतों में उपयोग किया जाता है।
जैव गैस के लाभ : इसके निम्नलिखित सामान्य लाभ है:
- यह एक उत्तम ईंधन है क्योंकि इसमें 75% तक मीथेन गैस होती है।
- यह धुंआ उत्पन्न किए बिना जलता है।
- इस गैस के जलने के बाद राख जैसा कोई अपशिष्ट शेष नहीं बचता है।
- जैव गैस उच्च तापन क्षमता वाली गैस होती है। यह सुविधाजनक दक्ष ऊर्जा स्रोत है।
- इस गैस का उपयोग प्रकाश के स्रोत के रूप में भी किया जा सकता है।
पवन ऊर्जा व पवन चक्की व इसके लाभ व हानि
पवन ऊर्जा : पवनों के प्रभाव में उपस्थित गति ऊर्जा पवन ऊर्जा कहलाती है। इसकी सहायता से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। जिसका उपयोग अनेक कार्यों के लिए किया जाता है।
पवन ऊर्जा के लाभ:
- पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का एक पर्यावरणीय स्रोत है।
- इसके द्वारा विद्युत उत्पादन के लिए बार-बार धन खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती।
- पवन ऊर्जा विद्युत संयंत्र को विद्युत उत्पादन के लिए प्रचलित करने के लिए किसी प्रकार के ईंधन की आवश्यकता नहीं होती।
पवन ऊर्जा उपयोग की सीमाएं:
- यह केवल अनेक क्षेत्रों में स्थापित किया जा सकता है जहां वर्षा के अधिकांश दिनों में पवन का प्रवाह तीर्व बना रहता है।
- टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाए रखने के लिए पवन की चाल 15 किमी से अधिक होनी चाहिए।
- पवन ऊर्जा फॉर्म विकसित करने के लिए विशाल क्षेत्रफल उपलब्ध होना चाहिए।
- पवन ऊर्जा फॉर्म स्थापित करने के लिए प्रारंभी के लागत अत्यधिक होती है।
पवन चक्की : यह एक ऐसा स्रोत है जो पवन ऊर्जा को उपयोग में लाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। इसका कार्य पवन ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करना है।
पवन चक्की की संरचना : एक पवन चक्की की संरचना चित्र अनुसार होती है जिसमें एक विशाल विद्युत पंखा किसी दृढ़ आधार पर बहुत ऊंचाई पर खड़ा होता है।
इसमें बहुत बड़ी-बड़ी पंखुड़ियां के साथ एक डायनेमो लगा रहता है जैसे जैसे पवन आती है तो पवन की सहायता से यह बड़ी-बड़ी पंखुड़ियां घूमने लगते हैं। जिसके कारण डायनेमो का साफ्ट घूमने लगता है और विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है।
पवन चक्की के उपयोग : इसके अनेक प्रयोग हैं जैसे :
- पवन चक्की द्वारा प्रचलित जल पंप में।
- पवन चक्की की पंखुड़ियां की घनी गति का उपयोग को उसे जल खींचने के लिए किया जाता है।
- पवन चक्की की गुनी गति का उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।
- पवन ऊर्जा से पाल नाव चलाई जाती है।