Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 03 ऊर्जा के स्रोत का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
Table of Contents
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 03 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- सौर ऊर्जा और सौर कुकर
- सौर सेल और सौर पैनल
- ज्वारीय ऊर्जा और तरंग ऊर्जा
- नाभिकीय ऊर्जा
- नाभिकीय विखंडन
- नाभिकीय संलयन
सौर ऊर्जा और सौर कुकर
सौर ऊर्जा: सूर्य से प्राप्त ऊर्जा सौर ऊर्जा कहलाती है इसका उपयोग सौर कुकर, सौर सालों आदि में किया जाता है।
सौर कुकर: यह सौर ऊर्जा से खाद्य पदार्थ को पकाने के काम में आता है।
सिद्धांत: समान परिस्थितियों में कृष्ण पृष्ठ अन्य प्रकार के प्रवर्तक पपृष्ठों की तुलना में अधिक ऊष्मा अवशोषित करते हैं सौर कुकर एवं सौर जल तापको की कार्य विधि इसी सिद्धांत पर आधारित है।
कार्यविधि: सौर कुकर में दर्पण की सहायता से सूर्य की किरणों का फोकसन किया जाता है। जिस स्थान पर यह कितने फॉक्सित की जाती है वहां पकाए जाने वाली खाद सामग्री रखी जाती है। प्राप्त सौर ऊर्जा से खाद सामग्री पकती जाती है तथा इसमें लगभग कांच की सीट का ढक्कन भीतर की ऊष्मा को पौध घर प्रभाव की भांति बाहर जाने से रोकता है।
उपयोग की सीमाएं:
- ऐसी युक्तियां दिन के कुछ निश्चित समय पर ही काम में ली जा सकती हैं।
- खराब मौसम में जब सूर्य पूर्णतया या आंशिक रूप से ऊर्जा नहीं दे पाता, यह युक्तियां प्रचलित नहीं की जा सकती।
सौर सेल और सौर पैनल
सौर सेल : सौर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करते हैं। जब कोई प्ररूपी सौर सेल धूप में रखा जाता है तो उसमें 1.0 वोल्ट तक वोल्टता विकसित होती है और यह लगभग 0.7 वाट विद्युत शक्ति उत्पन्न कर सकते हैं।
सौर पैनल : बहुत अधिक संख्या में सौर सेलों को संयोजित करके बनाई गई व्यवस्था सौर पैनल कहलाती है। सोर सेलों के बने पैनल से व्यावहारिक उपयोग के लिए पर्याप्त विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है ।
सौर सेलों का निर्माण : सौर सेलों को बनाने के लिए सिलिकॉन उपयोग में लिया जाता है जो आसानी से प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, किंतु इन सेलों को बनाने में प्रयोग किए जाने वाले विशिष्ट श्रेणी के सिलिकॉन की उपलब्धता सीमित मात्रा में होती है।
सौर सेलों के उपयोग से होने वाले लाभ:
- इनमें कोई गतिमान पूरजा नहीं होता है।
- इनका रखरखाव सस्ता होता है।
- इन्हें किसी भी स्थान पर स्थापित किया जा सकता है।
एक बार इन्हें जरूर पढ़े
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Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 03
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Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 02
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Class 10th Science Chapter-14 ऊर्जा के स्रोत part – 01
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Class 10th Science Chapter-13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव part – 04
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Class 10th Science Chapter-13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव part – 03
समुद्री से ऊर्जा : ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा
समुद्री से ऊर्जा : समुद्र में जल के स्तर से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है जिन्हें ज्वारीय ऊर्जा , तरंग ऊर्जा और महासागरीय तापीय ऊर्जा के नाम से जाना जाता है ।
ज्वारीय ऊर्जा : घूर्णन गति करती हुई पृथ्वी पर मुख्यत: चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण समुद्र के तल पर जल स्तर के चढ़ने व उतरने की परिघटना ज्वार भाटा कहलाती है । इस परिघटना में जल स्तर के चढ़ने तथा उतरने से प्राप्त उर्जा ज्वारीय ऊर्जा कहलाती है।
तरंग ऊर्जा : समुद्र तट के निकट विशाल उठने वाली तरंगों की गतिज ऊर्जा को भी विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए टरबाइन घूमने में उपयोग में लिया जाता है इस ऊर्जा के व्यावहारिक उपयोग के लिए तरंगे अत्यंत प्रबल होने चाहिए इस ऊर्जा को ट्रैक करने के लिए कई प्रकार की युक्तियों का विकास किया गया है।
भूतापीय ऊर्जा : पृथ्वी के भीतर की ऊष्मा ऊर्जा भूतापीय ऊर्जा होती है, अर्थात पृथ्वी के गर्भ में स्थित उच्च ताप क्षेत्र से संबंध ऊष्मा ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।
नाभिकीय ऊर्जा : नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन
नाभिकीय ऊर्जा : नाभिकीय विखंडन एवं नाभिकीय संलयन अभिक्रिया होने के उपरांत जो ऊर्जा प्राप्त होती है उसे नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।
नाभिकीय विखंडन : किसी भारी परमाणु जैसे यूरेनियम प्लूटोनियम अथवा थोरियम के नाभिक को निम्न ऊर्जा वाले न्यूट्रॉन से बमबारी कराकर अपेक्षाकृत हल्के नाभिकों में तोड़ने की परिघटना नाभिकीय विखंडन कहलाती है । इस प्रक्रिया में अपार ऊर्जा प्राप्त होती है।
नोट : यूरेनियम के एक परमाणु के विखंडन में जो ऊर्जा मुक्त होती है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है।
नाभिकीय संलयन : दो या दो से अधिक हल्के नाभिकों के संयोजन से भारी नाभिक बनाने की प्रक्रिया नाभिकीय संलयन कहलाती है। इसमें भी भारी नाविक बनने के उपरांत अपार ऊर्जा मुक्त होती है यह विखंडन की तुलना में अधिक सुरक्षित और अधिक ऊर्जा देने वाली प्रक्रिया होती है।
इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन या हाइड्रोजन के समस्थानिक को कैसे आयोजन से हीलियम बनती है।
अनवीकरणीय स्त्रोत : वे स्रोत जो किसी न किसी दिन समाप्त हो जाएंगे और अनवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं जैसे जीवाश्म ईंधन ।
नवीकरणीय स्रोत : वे स्रोत जिनका पुनर्जन्म हो सकता है इनके द्वारा समुचित प्रबंधन से निश्चित दर पर ऊर्जा की नियत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है नवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं। जैसे जैव मात्रा द्वारा प्राप्त जैव गैस ।
The Chapter End