Class 10th Science Chapter-15 हमारा पर्यावरण part – 01 हमारा पर्यावरण का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
Table of Contents
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-15 हमारा पर्यावरण part – 01 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- पर्यावरण की परिभाषा
- जैव निम्नीकरणीय पदार्थ
- अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ
- पारितंत्र और इसके संघटक
- जीवन निर्वाह के आधार पर जीवो का वर्गीकरण
- आहार श्रृंखला का सचित्र वर्णन
पर्यावरण : जैव निम्नीकरणीय और अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ
पर्यावरण : किसी जीवधारी के चारों ओर का वह वातावरण जो उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता हो, पर्यावरण कहलाता है।
पर्यावरण में दो प्रकार के पदार्थ पाए जाते हैं:
- जैव निम्नीकरणीय पदार्थ
- अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ: वे सभी पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अब घटित हो जाते हैं, जैव निम्नीकरण पदार्थ कहलाते हैं। जब वातावरण में इन पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है, तो इनके सम के अपघटन में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जिससे पर्यावरण प्रदूषित होते हैं।
उदाहरण: कृषि उत्पादित अपशिष्ट पदार्थ, रसोई घर का कचरा, कागज, मल मूत्र आदि।
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ: वे सभी पदार्थ जिनका जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटन नहीं होता है , अजैव निम्नीकरण पदार्थ कहलाते हैं। यह लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।
उदाहरण: प्लास्टिक ,पॉलिथीन ,रेडियोधर्मी अपशिष्ट पदार्थ , धातुऐं , कीटनाशक और पिड़कनाशक रसायन आदि।
नोट : यह पदार्थ सामान्य अक्रिय होते हैं, और पर्यावरण के अन्य सदस्यों को हानि पहुंचाते रहते हैं।
पारितंत्र और जीवन निर्वाह के आधार पर जीवो का वर्गीकरण
पारितंत्र और इसके संघटक : किसी क्षेत्र के सभी जीव जंतुओं और वातावरण के अजैव कारकों का संयुक्त निकाय पारितंत्र कहलाता है। वन, तालाब , झील आदि प्राकृतिक परतंत्र की श्रेणी में आते हैं , जबकि बगीचा , क्यारी, खेत आदि मानव निर्मित पारितंत्र की श्रेणी में आते हैं ।
एक पारितंत्र में सभी जीवो के जैव घटक व अजैव घटक एक साथ उपस्थित होते हैं। ताप, वर्षा, मृदा एवं खनिज इत्यादि सभी भौतिक कारक एवं घटक होते हैं।
जीवन निर्वाह के आधार पर जीवों का वर्गीकरण: इस आधार पर जीवों को निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया गया है:
- उत्पादक
- उपभोक्ता
- अपमार्जक
उत्पादक: सभी हरे पौधे एवं नील हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषित की क्षमता होती है, उत्पादक कहलाते हैं। अर्थात यह सभी पर्यावरण के जैविक घटक सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में एक कार्बनिक पदार्थ से कार्बनिक पदार्थ जैसे कि शर्करा एवं मंड का निर्माण करते हैं।
उपभोक्ता: वे जीव जो उत्पादक द्वारा उत्पादित भोजन पर प्रत्यक्ष रूप से अथवा अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर रहते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं। उपभोक्ता को मुख्यतः चार उपवर्गों में विभाजित किया गया है: शाकाहारी , मांसाहारी , सर्वाहारी एवं परजीवी ।
अपमार्जक: जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्म जीव मृत व वनस्पतियों द्वारा अथवा उनके अवशेषों का अपमार्जन करते हैं इसलिए इन्हें अपमार्जक कहते हैं। इनका मुख्य कार्य जटिल कार्बनिक पदार्थ को सरल अकार्बनिक पदार्थ में परिवर्तित करना है इसी प्रक्रिया के दौरान यह अपना भोजन प्राप्त करते हैं|
आहार श्रृंखला का सचित्र वर्णन
आहार श्रृंखला: किसी पारितंत्र में जीवों की एक दूसरे को खाकर अपनी आहार संबंधी आवश्यकता की पूर्ति के लिए एक श्रृंखलाबद्ध प्रक्रिया उस पारितंत्र के लिए आहार श्रृंखला कहलाती है। जैसे चित्र में प्रदर्शित किया गया है:
आहार श्रृंखला का प्रत्येक चरण एक पोषी स्तर कहलाता है । इसका प्रथम पोषण स्तर स्वपोषी या उत्पादक होता है। शाकाहारी प्राथमिक उपभोक्ता द्वितीय पोषी स्तर तथा छोटे मांसाहारी द्वितीय उपभोक्ता तीसरे पोषी स्तर और बड़े मांसाहारी तृतीय उपभोक्ता चौथ पोषी स्तर का निर्माण करते हैं। पोषण स्तर निम्न चित्रण अनुसार प्रदर्शित किया जा सकता है।
सभी प्रकार की आहार श्रृंखलाओं में ऊर्जा प्रवाह एक ही दिशा में होता है। स्वपोषी जीवो द्वारा ग्रहण की गई ऊर्जा पुणे सौर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती है यह ऊर्जा प्राथमिक उपभोक्ता ग्रहण कर लेते हैं जिसे पुन: द्वितीय उपभोक्ता ग्रहण करके तृतीय उपभोक्ता की ओर अग्रित कर देते हैं। इस प्रकार यह आहार श्रृंखला चलती रहती है।
नोट : आहार श्रृंखला में मनुष्य ही शीर्ष स्थान पर है क्योंकि वह एक ऐसा प्राणी है जो केवल शाकाहारी अथवा केवल मांसाहारी अथवा सर्वाहारी हो सकता है।