Class 10th Science Chapter-15 हमारा पर्यावरण part – 02 हमारा पर्यावरण का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-15 हमारा पर्यावरण part – 02 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह
- आहार जाल
- जैव आवर्धन
- ओजोन परत और इसका महत्व
- कचरा प्रबंधन
- कचरा निपटान
पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह
एक पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह : पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह जानने के लिए हमें आहार श्रृंखला पर ध्यान देना होगा क्योंकि इसी प्रक्रिया में ऊर्जा प्रवाह होता है ।
एक स्थलीय पारितंत्र में हरे पौधे की पत्तियां द्वारा प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान सौर ऊर्जा से खाद्य ऊर्जा प्राप्त होती है जो सौर ऊर्जा का लगभग 1% भाग होता है।
जब हरे पौधे प्राथमिक उपभोक्ता द्वारा खाए जाते हैं, तो ऊर्जा की एक बड़ी मात्रा पर्यावरण में ऊष्मा के रूप में खर्च होती है। जबकि कुछ मात्रा का उपयोग पाचन वृद्धि जनन एवं विभिन्न जैव कार्यों में होता है। खाए हुए भोजन की मात्रा का लगभग 10% भाग ही जैव मात्रा में बदल जाते हैं , जो अगले स्तर के उपभोक्ता को उपलब्ध होता है।
इस प्रकार प्रत्येक स्तर से लगभग उपलब्ध कार्बनिक पदार्थ की मात्रा का औसतन 10% भाग ही अगले स्तर के उपभोक्ता तक पहुंच पाता है। सामान्य सर्वाधिक जीवन निकले पोषी स्तर पर ही होते हैं अतः यह संख्या उत्पादक स्तर पर सर्वाधिक होती है।
आहार जाल और जैव आवर्धन
आहार जाल: विभिन्न आहार संकलन लंबाई एवं जटिलता में काफी अंतर रखती हैं। प्रत्येक जीव दो या दो से अधिक जीवो द्वारा खाया जा सकता है जिससे हम भी अनेक प्रकार के जीवों का आहार बनते हैं। इस प्रकार एक सीधी आहार श्रृंखला के बजाय जीवों के मध्य आहार संबंध शाखान्वित होते हैं तथा शाखान्वित श्रृंखलाओं का एक जाल बनाते हैं , जो आहार जाल कहलाता है ।
जैव आवर्धन : कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थ जैसे पीड़क रसायन आहार श्रृंखला से होते हुए हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं क्योंकि किसी भी आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ प्राणी है।
इस प्रकार मानव शरीर में इन रासायनिक की संचित मात्रा सर्वाधिक हो जाती है जिसे जैव आवर्धन कहते हैं।
नोट : मानव शरीर में जैव आवर्धन का मुख्य कारण हमारे खदान सब्जियां फल आदि हैं क्योंकि इनमें विभिन्न मात्राओं में पीड़ित रसायन उपस्थित होते हैं।
ओजोन परत और इसका महत्व
ओजोन : ओजोन के एक ऑप्शन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनते हैं एक और जहां ऑक्सीजन जीवन प्रदायक गैस है वहीं दूसरी ओर ओजोन एक घटक विषैली गैस है।
ओजोन का निर्माण: सर्वप्रथम ऑक्सीजन का सूर्य के प्रकाश में उपस्थित पराबैंगनी किरणों द्वारा स्वतंत्रता ऑक्सीजन परमाणु में अपघटन होता है और इस प्रकार विघटित परमाणु ऑक्सीजन के साथ जुड़कर ओजोन बनता है।
ओजोन का महत्व : वायुमंडल के ऊपरी स्तर में उपस्थित ओजोन सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकती है। इस प्रकार यह पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती है।
ओजोन परत का अपक्षयन : पर्यावरण में ओजोन की मात्रा में गिरावट अपक्षयन कहलाता है। इसकी मात्रा में तेजी से गिरावट का मुख्य उत्तरदाई रसायन क्लोरोफ्लोरोकार्बन है जिसका उपयोग रेफ्रिजरेटर वातानुकूल और अग्निशमन बनाने के लिए किया जाता है।
कचरा प्रबंधन और कचरा निपटान
कचरा प्रबंधन : देश की समृद्धि एवं विकास के साथ हमारे जीवन शैली में प्रचुरुक सुधार हुआ है। इस सुधार के साथ ही कचरे की मात्रा में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इसलिए कचरा प्रबंधन की योजना का हमारे जीवन विशेष प्रभाव पड़ता है ।
अधिक से अधिक बीमारियों का कारण मुख्यतः कचरा ही होता है। अतः बीमारियों से बचने के लिए कचरा निपटान बहुत जरूरी है। इसके कुछ सामान्य तरीके निम्नलिखित हैं:
- जैव निम्नीकरणीय पदार्थ का उपयोग बढाकर तथा अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैसे प्लास्टिक डिब्बे पॉलिथीन की थैलियां आदि का उपयोग कम करके।
- कचरा निपटान से पूर्व कचरे का उचित तरीके से उसकी प्रकार के अनुसार पृथक्करण करके।
- अजैव निम्नीकरणीय को पुन चक्रण के बाद काम में लेकर ।
- जैव निम्नीकरणीय पदार्थ को गड्ढे में दबाकर उचित समय बाद खाद के रूप में उपयोग करके।
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