Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 1 उपसहसंयोजन योगिक का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 1
Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 1 में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 1 में महत्वपूर्ण Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी:
- साधारण लवण और द्विक लवण की परिभाषा
- उपसहसंयोजन या संकुल योगिक की परिभाषा और इनका वर्गीकरण
- द्विक लवण व संकुल योगिको में अंतर
- उपसहसंयोजन सत्ता या समन्वय सत्ता
- समनव्य मंडल और केन्द्रीय परमाणु या आयन
साधारण लवण और द्विक लवण की परिभाषा
अकार्बनिक योगिको को समान्यत: तीन वर्गो में विभाजित किया जा सकता है –
- साधारण लवण
- द्विक लवण
- उपसहसंयोजन या संकुल योगिक
साधारण लवण : जब कोई अम्ल किसी क्षार से पूर्णतया अभिक्रिया करता है , तो अभिक्रिया के फलस्वरूप बनने वाला लवण साधारण लवण कहलाता है |
जैसे : NaCl, KCl आदि |
द्विक लवण : ये वे आणविक अथवा योगात्मक योगिक है, जो ठोस अवस्था में रहते हैं, परंतु जल में घोलने पर यह अपने घटकों में वियोजित हो जाते हैं और अपनी पहचान खो देते हैं और अपने घटकों के गुण प्रदर्शित करते है |
जैसे : पोटाश एलम (K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O), मोहर लवण (FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O आदि ।
उपसहसंयोजन या संकुल योगिक की परिभाषा और इनका वर्गीकरण
उपसह संयोजन योगिक या संकुल योगिक :- जब दो स्थायी आणविक योगिको के परिणाम स्वरूप आणविक योगिक बनते है, जिसमे इनकी पहचान ठोस व विलयन अवस्था में बनी रहती है एवं इनके गुण इनके अवयवी कणों से बिलकुल भिन्न रहते है , उपसहसंयोजन योगिक कहलते है | जैसे :- K4[Fe(CN)6] , [Ag(NH3)2]Cl आदि |
इनके मध्य उपसहसंयोजी आबन्ध उपस्थित होता है , जिसके द्वारा उदासीन अणु जैसे – H2O , NH3 , आदि धातु आयन या परमाणुओ के साथ बंधे रहते है |
संकुल आयनों की प्रक्रति के आधार पर ये तीन प्रकार के होते है –
1- धन संकुल आयन युक्त योगिक :- इन संकुल योगिको में आयन धन आयन होते है –
जैसे ;- [Cu(NH3)4]SO4 , [Ag(NH3)2]Cl इत्यादि |
2- ऋण आयन संकुल युक्त योगिक :- इन संकुल योगिको में आयन ऋण आयन होते है –
जैसे :- K2{Ni(CN)4] , K3[Co(NO2)6] आदि |
3- उदासीन संकुल आयन युक्त योगिक :- इन संकुल योगिको में आयन उदासीन आयन होते है –
जैसे :- [Pt(NH3)2Cl2] , [Cr(H2O)3Cl3 ] आदि |
द्विक लवण व संकुल योगिको में अंतर
S.N | द्विक लवण | संकुल योगिक |
---|---|---|
1 | ये वे आणविक अथवा योगात्मक योगिक है जो ठोस अवस्था में रहते हैं, परंतु जल में घोलने पर यह अपने घटकों में वियोजित हो जाते हैं और अपनी पहचान खो देते हैं और अपने घटकों के गुण प्रदर्शित करते है | जैसे : पोटाश एलम (K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O), मोहर लवण (FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O आदि । | जब दो स्थायी आणविक योगिको के परिणाम स्वरूप आणविक योगिक बनते है जिसमे इनकी पहचान ठोस व विलयन अवस्था में बनी रहती है एवं इनके गुण इनके अवयवी कणों से बिलकुल भिन्न रहते है , उपसहसंयोजन योगिक कहलते है 1 जैसे :- K4[Fe(CN)6] , [Ag(NH3)2]Cl आदि | |
2 | द्विक लवण के जलीय विलयनो में उनके सभी अवयवी आयनों का परीक्षण किया जा सकता है | संकुल योगिक के जलीय विलयन में उसके सभी अवयवी आयनों का परीक्षण सम्भव नही है | |
3 | इनमें आबन्धो की प्रकृति विद्युत संयोजी होती है | | इनमें आबन्धो की प्रकृति उपसहसंयोजी होती है| |
4 | भौतिक गुण उनके अवयवी लवणों से भिन्न होते है जबकि रासायनिक गुण समान होते है | | इनमे भौतिक व रासायनिक दोनों गुण अपने अवयवी योगिको से भिन्न होते है |
उपसहसंयोजन सत्ता या समन्वय सत्ता
उपसहसंयोजन योगिको से सम्बन्धित परिभाषिक शब्द व उनकी परिभाषाए :- ये सभी आपके लिए महत्वपूर्ण हैडिंग है अत: आप इन्हें ध्यान से याद करे :
1- उपसहसंयोजन सत्ता या समन्वय सत्ता :- जब योगिक में उपस्थित धातु अथवा धातु आयन से एक निश्चित संख्या में आबन्धित आयन या अणु मिलकर एक उपसहसंयोजन सत्ता का निर्माण करते है इसे समन्वय मंडल भी कहते है| जैसे :- [CoCl3(NH3)3}] आदि |
समनव्य मंडल और केन्द्रीय परमाणु या आयन
2: समनव्य मंडल : केंद्रीय धातु परमाणु तथा उससे जुड़े लिगेंड भाग को शंकर योग का समनव्य मंडल कहते हैं। यह भाग जल में आयनिक नही होता हैं। जो भाग जल में आयनिक हो जाता है उसे शंकर योग का आयनन मंडल कहते हैं।
जैसे : [Cu(NH3)4]SO4 विलयन में आयनित होकर SO4 2- आयन देता है । इसमें सल्फेट आयन आयनन मंडल है जबकि अन्य समनव्य मंडल है ।
3:- केन्द्रीय परमाणु या आयन :- संकुल में वह धातु परमाणु या आयन जिसके चारो और निश्चित संख्या में निश्चित ज्यमिति में आयन या उदासीन अणु जुड़े होते है केन्द्रीय परमाणु कहलाता है | जैसे :- K4[Fe(CN)6] व [Cu(NH3)4]SO4 में क्रमश: केन्द्रीय आयन Fe2+ तथा Cu2+ है |