Excellent Shiksha class - 12th,उपसहसंयोजन योगिक Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 3

Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 3


Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 3

Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 3 उपसहसंयोजन योगिक का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |

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Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 3

Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 3 में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे  | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |

Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 3 में महत्वपूर्ण  Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी: 

  1. उपसहसंयोजक योगिको का नामकरण और इसके नियम
  2. कुछ महत्वपूर्ण संकुलों का नामकरण
  3. कुछ विशेष संकुल आयनों के नामकरण
  4. उपसहसंयोजक योगिकों में समावयवता
  5. संरचना समावयवता और इसके प्रकार
  6. संरचना समावयवता और त्रिविम समावयवता
  7. जलयोजन समावयवता और बंधक (बंधनी) समावयवता
  8. उपसहसंयोजन (समन्वयी ) समावयवता और उपसहसंयोजन (स्थान) समावयवता
Class 12 Chemistry Chapter 5 उपसहसंयोजन योगिक Part 3

उपसहसंयोजक योगिको का नामकरण और इसके नियम

उपसहसंयोजक योगिको का नामकरण :- IUPAC पद्धति में इनका नामकरण निम्न प्रकार से किया जाता है –

1- आयन का नामकरण :- सर्वप्रथम धन आयन का नामकरण किया जाता है |
2 :- संकुल स्पिसिज का नामकरण :- धन आयन का नामकरण करने के बाद ब्रेकेट में धातु की ऑक्सीकरण संख्या को रोमन अंको में लिख देते है |
3- लिगेंड का नामकरण :- इसका नामकरण करते समय अंग्रेजी की वर्ण माला का ध्यान रखते है |

लिगेंड का नाम निम्न प्रकार से लिखते है: जब भी आप नाम लिखना शुरू करेंगे तो आपको ये लिगेंड नाम याद करने पड़ेंगे |

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कुछ महत्वपूर्ण संकुलों का नामकरण

जिसमे धन आयन संकुल उपस्थित हो: 

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जिनमे संकुल ऋण आयन हो :-

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जिनमे उदासीन संकुल हो :-

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जिनमे संकुल धन आयन व ऋण आयन उपस्थित हो :-

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कुछ विशेष संकुल आयनों के नामकरण

ये सभी आपके लिए महत्वपूर्ण है | अत: आप इन्हें जरूर याद करे : 

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उपसहसंयोजक योगिकों में समावयवता

उपसहसंयोजक योगिकों में समावयवता: दो या दो से अधिक योगिक जिनके अणुसूत्र समान हो परंतु उनके भौतिक एवं रासायनिक गुण अलग-अलग हो समावयवी भी कहलाते हैं और इस परिघटना को समावयवता कहते हैं ।

सर्वप्रथम समयता का अध्ययन वर्णन वैज्ञानिक ने किया था और इन्होंने उपसहसंयोजक यौगिक को दो प्रकार की समावयवता में प्रदर्शित किया है:

  1. संरचना समावयवता
  2. त्रिविम समावयवता

संरचना समावयवता और इसके प्रकार

संरचना समावयवता: वह समावयवता जो सामान अणुसूत्र वाले उपसहसंयोजके योगिको की भिन्न-भिन्न सरचनाओं के कारण उत्पन्न होती है, संरचना समावयवता कहलाती है।इसे निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है : 

  1. बहुलकीकरण समावयवता
  2. आयनन समावयवता
  3. जलयोजन समावयवता
  4. बंधक (बंधनी) समावयवता
  5. उपसहसंयोजन (समन्वयी ) समावयवता
  6. उपसहसंयोजन (स्थान) समावयवता

संरचना समावयवता और त्रिविम समावयवता

1: बहुलकीकरण समावयवता: वह समावयवता जिसमें समावयवी संकुल यौगिक का मूलानुपाती सूत्र समान किंतु आणविक सूत्र अलग-अलग होता है, परंतु वह मूलानुपाती सूत्र का सरल गुणांक होता है बहुलकीकरण समावयवता कहलाती है और ये एक दूसरे के बहुलकी समावयवी कहलाते हैं ।
जैसे : [Pt(NH3)2Cl2] और  [Pt(NH3)4][PtCl4]

2: आयनन समावयवता: वे संकुल यौगिक जिनका आणविक सूत्र समान होता है परंतु वे जलीय विलियन में आयनिक होकर अलग-अलग प्रकार के आयन उत्पन्न करते हैं आयनन समावयवी कहलाते हैं। इस प्रकार की  समावयवता को आयनन समावयवता कहते हैं।
जैसे :
[Co(NH3)5Br]SO4 और  [Co(NH3)5SO4]Br

जलयोजन समावयवता और बंधक (बंधनी) समावयवता

3: जलयोजन समावयवता : वे संकुल यौगिक जिनमे जल के अणु तो सामान हो परंतु जल के अणुओं की संख्या संकुल परिसर में तथा आयनिक परिसर में अलग-अलग हो, जलयोजन समावयवी कहलाते हैं और इस प्रकार की समावयवता को जलयोजना समावयवता कहते हैं।
जैसे : CrCl3.6H2O  की निम्न समावयवता है:
a: [Cr(H2O)6]Cl3
b: [Cr(H2O)5Cl]Cl2.H2O
c: [Cr(H2O)4Cl2]Cl2.H2O

4: बंधक (बंधनी) समावयवता :वे यौगिक जिनमे उभय दन्तुर लिगेंड विधमान हो तथा कन्द्रीय धातु परमाणु लिगेंड के दो दाता परमाणू से उप सहसंयोजक आबंध द्वारा बंधित हो सकते हो बंधक समावयवी कहलाते है | और इस प्रकार की समावयवता को बंधक समावयवता कहते है |
जैसे: -NO2,

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उपसहसंयोजन (समन्वयी ) समावयवता और उपसहसंयोजन (स्थान) समावयवता

5: उपसहसंयोजन (समन्वयी ) समावयवता : जब उप सहसंयोजक योगिको में धन आयन एवं ऋण आयन दोनों संकुल आयन हो , और दोनों संकुल धातु आयनों का विनिमय कर लेते हो तो इन्हें उपसहसंयोजन समावयवी कहते है | इस प्रकार की समावयवता को उपसहसंयोजन समावयवता कहते है |
जैसे : [Co(NH3)6] [Cr(CN)6] और [Cr(NH3)6] [Co(CN)6]

6: उपसहसंयोजन (स्थान) समावयवता: बहुकेन्द्रक संकुल योगिको में धातु आयनों के बीच भिन्न भिन्न लिगेंड का विनिमय उपसहसंयोजन स्थान समावयवता प्रदर्शित करते है | इन्हें उपसहसंयोजन स्थान समावयवी भी कहते है |
जैसे :

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