Class 12 Chemistry Chapter 6 हैलोएल्केन तथा हैलोऐरीन Part 5 हैलोएल्केन तथा हैलोऐरीन अथवा Heloelken tatha heloerin का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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Class 12 Chemistry Chapter 6 हैलोएल्केन तथा हैलोऐरीन Part 5
Class 12 Chemistry Chapter 6 हैलोएल्केन तथा हैलोऐरीन Part 5 में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 12 Chemistry Chapter 6 हैलोएल्केन तथा हैलोऐरीन Part 5 में महत्वपूर्ण Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी:
- त्रिविम समावयवता और इसके प्रकार
- विन्यासी समावयवता और इसके प्रकार
- समावयवता से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण शब्द जैसे : ध्रुवीत प्रकाश, ध्रुवण घूर्णकता या प्रकाशिक घूर्णकता,
- विशिष्ट घूर्णन, प्रतिबिंब रूप, असममित कार्बन परमाणु, सममिति अक्ष, सममिति का केंद्र
- प्रकाशिक समावयवता और रैसिमिक मिश्रण
- प्रकाशिक समावयवता के उदाहरण
- काईरलता और अकईरलता
- मेसो यौगिक और धारण या अप्रतिलोपन
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त्रिविम समावयवता और इसके प्रकार
त्रिविम समावयवता: वह समावयवता जिसमें समावयवी का संरचना सूत्र समान होता है परन्तु इनके अणुओं में विद्मान परमाणु या समूह का अवकाश में प्रबंध भिन्न भिन्न होता है तो उनको त्रिविम समावयव और इस गुण को त्रिविम में समावयवता कहते हैं।
इज दो भागों में वर्गीकृत किया गया है:
1: विन्यासी समावयवता
2: संरूपण समावयवता
विन्यासी समावयवता और इसके प्रकार
1: विन्यासी समावयवता: विन्यासी प्रतिरूप योगिकों के वीभिन्न विनयासों से उत्पनन समावयवी रूपों को विनाशी समावयव कहते हैं और इस गुण को विन्यासी समावयवता कहते हैं। जैसे अल्फा ग्लूकोस, बीटा ग्लूकोस में।
इज भी दो वर्गों में विभाजित किया गया है:
अ): प्रकाशिक अथवा ध्रुवण समावयवता
ब) ज्यामितीय समावयवता
समावयवता से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण शब्द जैसे : ध्रुवीत प्रकाश, ध्रुवण घूर्णकता या प्रकाशिक घूर्णकता,
इन्हें समझने के लिए सर्वप्रथम निम्न बातों पर ध्यान देना होगा:
A): ध्रुवीत प्रकाश: साधारण प्रकाश की किरणे स्रोत से निकलने पर सभी दिशाओं में कंपन करती हैं। यादी इन्हें निकोल प्रिज्म की सहायता से किसी एक ही दिशा में कंपित कर दिया जाए तो इस प्रकाश को ध्रुवीत प्रकाश कहते हैं और इस प्रकाश के तल को ध्रुवण तल कहते हैं।
साधारण प्रकाश को ध्रुवीत प्रकाश में बदलने की यह प्रक्रिया ध्रुवण कहलाती है और इसमें प्रयुक्त नीकोल प्रिज्म को ध्रुवक कहते हैं।
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B): ध्रुवण घूर्णकता या प्रकाशिक घूर्णकता: योगीकों के द्वारा समतल ध्रुवीत प्रकाश के तल को एक निश्चित दिशा में घुमा देने के गुण को ही प्रकाशिक घूर्णकता कहते हैं।
ऐसे सभी पदार्थ जो प्रकाशिक घूर्णकता प्रदर्शित करने का गुण रखते हैं उनको प्रकाश सक्रिय योगिक या ध्रुवण घूर्णक की योगीक कहते हैं।
जो पदार्थ समतल ध्रुवीत प्रकाश को बाई ओर अथवा वामावर्त दिशा में घूमाते हैं उनको वाम ध्रुवण घूर्णक कहते हैं,और जो दाईं और यानी दक्षिणावर्त दिशा में घूमाते हैं उनको दक्षिण ध्रुवण घूर्णक पदार्थ कहते हैं। किसी पदार्थ का ध्रुवण घूर्णक ज्ञात करने के लिए जो उपकरण उपयोग किया जता है उसे ध्रुवण मापी कहते हैं।
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विशिष्ट घूर्णन, प्रतिबिंब रूप, असममित कार्बन परमाणु, सममिति अक्ष, सममिति का केंद्र
विशिष्ट घूर्णन: किसी विलियन का विशिष्ट घूर्णन, घूर्णन का वह कोण एल्फा है जो एक डेसीमीटर विलयन की लंबाई से उत्पन्न होता है और इसके प्रति मिलीमीटर में 1 ग्राम प्रकाश सक्रिय पदार्थ घुला होता है। इसको निम्नलिखित संबंध से प्रदर्शित करते हैं:
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प्रतिबिंब रूप: सन 1811 में अरागो ने पाया कि क्वार्टर्स पहला पदार्थ है, जो प्रकाशित सक्रियता का गुण व्यक्त करता है और यह दो क्रिस्टलीय रूपों में होता है। जिसमें एक ध्रुवीत प्रकाश तल को दाई तथा दूसरा बाई और घूमाता हैं, परंतु यह दोनों रूप एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब होते हैं और अध्यारोपित नहीं करते। इन्हें प्रतिबिंब रूप कहते हैं। जैसे सोडियम क्लोरेट, हाइड्राजीन, बोरियम फॉर्मेट आदि।
असममित कार्बन परमाणु: वह कार्बन परमाणु जिसकी चारों संयोजकताएं चार भिन्न-भिन्न परमाणु या समूह द्वारा संतुष्ट होती हैं, असममित कार्बन परमाणु कहलाता है और इसे काईरल परमाणु या काईरल केंद्र भी कहते हैं।
असममित अणु के लक्षण: इसके लक्षण होने चाहिए निम्नलिखित हैं:
1: इसमें सममित का कोई तल नहीं होना चाहिए।
2: सममिति के तत्व: किसी योगिक के अणु में परमाणु के मध्य वह तल, जो उस अणु को दो बराबर भागों में विभक्त करता है और ये एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब प्रदर्शित करता है, सममिति तल कहलाता है।
यदि यह ऊर्ध्वाधर हो तो इसे ऊर्ध्वाधर सममिति तल कहते हैं, इसी प्रकार यदि यह क्षैतिज हो तो यह क्षैतिज सममिति तल कहलाता है।
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सममिति अक्ष: वह अक्ष जो किसी अणु के रूप को घुमाने पर नया रूप मूल विन्न्यास रूप को अध्यारोपित कर देता है सममिति अक्ष कहलाता है। सममिति अणु के इस तत्व को Cn द्वारा प्रदर्शित करते हैं। जहां C से अभिप्राय अक्ष चक्र से है।
यदि अणु को 360 /n कोण पर घुमाया जाए तो मूल विन्यास के समान विन्यास प्राप्त हो तो, कहा जाता है कि अणु में n गुणा घूर्णन अक्ष है।
सममिति का केंद्र: किसी अणु के अंदर का वह बिंदु जिससे विभिन्न परमाणुओं या समूह की ओर रेखा खींचने पर वह आमने-सामने दो बराबर भागों में बंट जाते हैं सममिति का केंद्र कहलाता है। इसे i से व्यक्त करते हैं।
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प्रकाशिक समावयवता और रैसिमिक मिश्रण
प्रकाशिक समावयवता: वे सामान अणुसूत्र वाले कार्बनिक यौगिक जिनके भौतिक व रासायनिक गुण एक जैसे होते हैं परंतु इनका व्यवहार ध्रुवीत प्रकाश के प्रति अलग-अलग होता है प्रकाशिक समावयवी कहलाते हैं और इस घटना को प्रकाशिक समावयवता कहते हैं।
रैसिमिक मिश्रण: d और l रूपों को समान मात्रा में मिलाने से प्राप्त मिश्रण ध्रुवीत प्रकाश के तल को प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि इसमें एक रूप दूसरे रूप को पूर्ण रूप से संतुलित कर देता है, ऐसे मिश्रण को रैसिमिक मिश्रण कहते हैं। इसको dl या +- मिश्रण द्वारा भी प्रदर्शित करते हैं।
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प्रकाशिक समावयवता के उदाहरण
प्रकाशिक समावयवता के उदाहरण:
1: लैक्टिक अम्ल की समावयवता:
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2: टार्टरिक अम्ल की समावयवता:
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काईरलता व अकईरलता और मेसो यौगिक व धारण या अप्रतिलोपन
काईरलता : जब किसी असममित अणु के प्रतिबिम्ब रूप एक दुसरे पर अध्यारोपित नही होते है तब उसे काईरल अणु कहते है , और उसके इस गुण को काईरलता कहते है | काईरल अणु ध्रुवण घूर्णक प्रकाशिक सक्रिय होते है|
अकईरलता: जब किसी अणु अपने प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित हो जाता है तब उसे अकाईरल अणु कहते है , और उसके इस गुण को अकाईरलता कहते है |
मेसो यौगिक : वे कार्बोनिक योगिक जिनमे समान असम मित कार्बन परमाणुओ के मध्य एक सम मिति तल विधमान होता है| जो यौगिक के अणु को दो समान भागो में विभक्त क्र सकता है मेसो योगिक कहलाता है| जैसे : मेसो टर्टरिक अम्ल |
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धारण या अप्रतिलोपन : रासायनिक अभिक्रिया अथवा रूपांतरण के समय एक असममित केंद के अबन्धो के त्रिविम विन्यास की अपरिवर्तनशीलता बने रहने को विन्यास का धारण कहते है|