Class 12th Physics Chapter-05 विद्युत धारा part -04 में हम निम्न महत्वपूर्ण हैडिंग का अध्ययन करेंगे:-
Table of Contents
Toggleश्रेणी क्रम में सेलो का संयोजन,
समांतर क्रम में सेलो का संयोजन,
मिश्रित क्रम में सेलो का संयोजन,
किरचॉफ का प्रथम नियम अर्थात संधि नियम,
किरचॉफ का द्वितीय नियम अर्थात लूप का नियम,
व्हीट स्टोन सेतु की रचना एवं सूत्र की उत्पत्ति,
मीटर सेतु की रचना एवं सूत्र की उत्पत्ति, आदि |
हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है |
अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
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Class 12th Physics Chapter-05 विद्युत धारा part -04
सेलो का संयोजन
सेलो को सामान्यत: निम्नलिखित क्रम में जोड़ा जा सकता है –
1- श्रेणी क्रम में 2- समांतर क्रम में 3- मिश्रित क्रम में
श्रेणी क्रम में सेलो का संयोजन
इस क्रम में सेलो को जोड़ने के लिए एक सेल का धन सिरा दुसरे सेल के ऋण सिरे से जोड़ा जाता है | जैसे चित्र में दर्शाया गया है |
माना श्रेणी क्रम में प्रतिरोध R के साथ n सेल विद्युत वाहक बल E और आंतरिक प्रतिरोध r वाले जोड़े गये है –

समांतर क्रम में सेलो का संयोजन
इस क्रम में सेलो को जोड़ने के लिए प्रत्येक सेल का धन सिरा एक साथ और ऋण सिरा एक साथ जोड़ा जाता है | जैसे चित्र में दर्शाया गया है |
माना n सेल जिनका आंतरिक प्रतिरोध r तथा विद्युत वाहक बल E , एक साथ बाह्य प्रतिरोध R के साथ जोड़े गये है तब –


Class 12th Physics Chapter-05 विद्युत धारा part -04
मिश्रित क्रम में सेलो का संयोजन
इस क्रम में सेल श्रेणी और समानर दोनों में लगे होते है –
माना n सेल जिनका आंतरिक प्रतिरोध r और विद्युत वाहक बल E को श्रेणी में लगाकर m पंक्तिया समांतर क्रम में चित्रानुसार लगाई गयी है तब :


Class 12th Physics Chapter-05 विद्युत धारा part -04
किरचॉफ के नियम
वैज्ञानिक किरचॉफ ने जटिल विद्युत परिपथो का अध्ययन कर निम्नलिखित दो नियम प्रतिपादित किये –
1- किरचॉफ का प्रथम नियम अर्थात संधि नियम
इस नियम के अनुसार किसी भी परिपथ में किसी संधि पर मिलने वाली कुल विद्युत धाराओ का बीज गणितीय योग शून्य होता है |
अर्थात
इस चित्र में i1 + i2 + i3 +i4 + i5 = 0

नोट :- किसी भी संधि की और आने वाली धारा को धनात्मक मानते है| जबकि संधि से दूर जाने वाली धारा को ऋणात्मक मानते है |
जैसे :-

2- किर्चोफ्फ़ का द्वितीय नियम अर्थात लूप का नियम
इस नियम के अनुसार किसी परिपथ के प्रयेक बंद भाग के विभिन्न खंडो में बहने वाली धारा तथा संगत धारा के प्रतिरोध के गुणनफलो का बीज गणितीय योग उस भाग में लगने वाले विद्युत वाहक बलो के बीज गणितीय योग के बराबर होता है |
अर्थात :

इस चित्र में दो लूप बन रही है अत:- लूप 1 में –
R1i1 -i2R2 = E1 – E2 होगा
जबकि दूसरी लुप में –
i2R2 – (i1 + i2 )R3 = E2
इसे निम्न उदाहरन द्वारा समझा जा सकता है –

Class 12th Physics Chapter-05 विद्युत धारा part -04
व्हीट स्टोन सेतु
व्हीट स्टोन सेतु एक एसा परिपथ है | जिसके द्वारा किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जा सकता है |इसका आविष्कार इंग्लैण्ड के प्रोफेसर सी . ऍफ़ . व्हीट स्टोन ने किया था | इसलिए इसका यह नाम रखा गया था |
व्हीट स्टोन सेतु की रचना
इसमें चार प्रतिरोध P , Q , R और S चित्र अनुसार लगे रहते है | और इन्हें बैटरी से जोडकर परिपथ में धारामापी G चित्र अनुइसर लगाया जाता है| इन प्रतिरोधो में तीन प्रतोरोध का मान ज्ञात होता है | जबकि चोथे s का ज्ञात करना होता है |

व्हीट स्टोन सेतु का सिधांत :-
इस सेतु का सिद्धांत संतुलन की स्थति है | अर्थात जब सेतु में लगे धारामापी में धारा का मान शून्य हो जाता है , तब परिपथ में लगे प्रतिरोध संगत प्रतिरोध के अनुपात में होते है |
अर्थात
P / Q = R/ S
यही सेतु की शर्त भी कहलाती है
व्हीट स्टोन सेतु के लिए सूत्र की उत्पत्ति

Class 12th Physics Chapter-05 विद्युत धारा part -04
मीटर सेतु
मीटर सेतु व्हीट स्टोन सेतु के आधार पर बनाया गया एक उपकरण है\ जिसकी सहायता से अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जाता है|
मीटर सेतु की रचना
इसमें एक मीटर लम्बा एवं एकसमान परिच्छेद बका कांस्टेंटन का तार AC चित्र अनुसार लगा रहता है |और इस परिपथ में एक प्रतिरोध बोक्स और अज्ञात प्रतिरोध S भी लगे रहते है| जो बैटरी के साथ चित्र अनुसार जुड़े रहते है –

मीटर सेतु के लिए सूत्र की उत्पत्ति
चूँकि यह व्हीट स्टोन सेतु पर आधारित एक उपकरण है इसलिए इसमें भी

मीटर सेतु की सीमाए
इसकी निम्नलिखित सीमाए है –
1- इसकी सहायता से अधिक छोटे प्रतिरोध का मान सही ज्ञात नही किया जा सकता है|
2- इसके तार में अधिक देर तक धारा प्रवाहित नही करनी चाहिए क्योंकि इससे तार गर्म होकर सही कार्य नही करता है| जिससे प्रतिरोध का मान सही ज्ञात नही किया जा सकता है|
3- अधिक सुग्रहिता के लिए प्रतिरोध बोक्स में से निकले गये प्रतिरोध का मान एसा होना चाहिए की धारामापी में विक्षोभ न आये |