Class 10th Science Chapter-16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन part – 01 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन part – 01 में महत्वपूर्ण Headings इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- प्राकृतिक संसाधन
- प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय तीन R का गहन सूत्र
- वन एवं वन्य जीवन और स्टेक होल्डर
- वन विभाग द्वारा स्वतंत्रता के बाद राजस्व के लिए जैव विविधता पर संकट की स्थिति
प्राकृतिक संसाधन और इनका प्रबंधन करते समय तीन R का गहन सूत्र
प्राकृतिक संसाधन : प्रकृति में पाई जाने वाले प्रथम मनुष्य एवं अन्य जीव धारी के उपयोग में आने वाले पदार्थ या साधन प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं।
जनसंख्या में वृद्धि के कारण इन संसाधनों की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है जबकि यह संसाधन हमारी पृथ्वी पर सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। अतः भविष्य में इन संसाधनों के प्रति हमें गंभीर होकर विचार करना अति आवश्यक है।
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय तीन R का गहन सूत्र: प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय हमें दीर्घ समय के लिए ध्यान रखना पड़ेगा कि यह अगली कई पीढियो के लिए उपलब्ध हो सके। इसके लिए हमें तीन R का गहन सूत्र उपयोग में लेना होगा । जिसके अनुसार हम अपनी आदतों में परिवर्तन ला सकते हैं।
1: कम उपयोग (Reduce): कम उपयोग में ले तथा जल व बिजली की बर्बादी पर रोक लगाएं।
2: पुन: चक्रण (Recycle): जिन वस्तुओं को पुनः चक्रण के द्वारा दोबारा उपयोग योग्य बनाया जा सकता है , उन्हें अपशिष्ट से अलग कर पुन चक्रण की प्रक्रिया में लाएं।
3: पुन: उपयोग (Re – use): यह पुनर्चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुनर्चक्रण में कुछ ऊर्जा खर्च होती है। जबकि पुन : उपयोग में वस्तु का बार-बार प्रयोग किया जाता है। जैसे लिफाफे, प्लास्टिक की बोतले, डिब्बे इत्यादि जिन्हें पुन: उपयोग में लाया जा सकता है।
वन एवं वन्य जीवन और स्टेक होल्डर
वन एवं वन्य जीवन और स्टेक होल्डर: वन संसाधनों के उपयोग, स्वामित्व , नियंत्रण और संरक्षण के प्रति आस्था रखने वाले विभिन्न व्यक्ति या संस्थान वन संसाधनों के स्टेक होल्डर (दावेदार) कहलाते हैं।
इन्हें सामान्य चार वर्गों में विभक्त किया जा सकता है :
1: वन के अंदर एवं वन के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले वे लोग जो अपनी अनेक आवश्यकताओं के लिए वन पर निर्भर रहते हैं।
2: सरकार का वन विभाग, जो वनों पर अपने स्वामित्व के साथ-साथ वनों से प्राप्त संसाधनों पर नियंत्रण भी रखता है।
3: उद्योगपति जो अपने संबंधित उद्योग को चलाने के लिए वन उत्पादों पर निर्भर रहते हैं। उद्योगपति का यह वर्ग तेंदू पत्ती का उपयोग बीड़ी बनाने में, से लेकर कागज मील तक के उद्योग में वन उत्पादकों को काम में लेते हैं।
4: वन्य जीवन एवं प्रकृति प्रेमी लोगों का वर्ग जो प्रकृति के संरक्षण में श्रद्धा एवं समर्पित भाव से जुटा रहता है।
स्थानीय लोगों की आवश्यकता है जो वनों द्वारा पूर्ण होती हैं :
- वनों से स्थानीय लोगों को ईंधन के लिए जलाऊ लकड़ी, झोपड़ी बनाने और भोजन एकत्र करने के लिए बस की लकड़ी प्राप्त होती है।
- खेतों संबंधित , मछली पकड़ने और शिकार करने के लिए औजार जो लकड़ी के बनाए जाते हैं।
- वनों से फल नट्स और औषधीयां प्राप्त होती है।
- वनों से पशुओं का चेहरा आसानी से एकत्रित हो जाता है।
वन विभाग द्वारा स्वतंत्रता के बाद राजस्व के लिए जैव विविधता पर संकट की स्थिति
वन विभाग द्वारा स्वतंत्रता के बाद राजस्व के लिए जैव विविधता पर संकट की स्थिति: वन विभाग ने स्वतंत्रता के बाद स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं एवं ज्ञान की उपेक्षा करते हुए वनों के बहुत बड़े क्षेत्र से अन्य पौधों को हटाकर चीड़, टीक और युकेलिप्टिस के वृक्ष लगा दिए। जिससे क्षेत्र की जैव विविधता नष्ट हुई और स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो सकी । इस प्रक्रिया से केवल उद्योगो को लाभ मिला और वन विभाग के लिए राजस्व का मुख्य स्रोत बन गया।
वन उत्पादों पर निर्भर उद्योग :
- इमारती लकड़ी (टिंबर) उद्योग
- कागज उद्योग
- खेल के सामान संबंधी उद्योग
- बीड़ी उद्योग
- आयुर्वेद चिकित्सा उद्योग आदि
प्रकृति एवं वन्य जीवन प्रेमियों के द्वारा वन संरक्षण के लिए किए गए प्रयास: स्टेकहोल्डर का यह वर्ग वन पर निर्भर नहीं होते हुए भी वन संरक्षण के प्रति प्रयासरत रहता है । वनों के प्रबंधन में इस वर्ग के लोगों की बात को महत्व दिया जाता है, इसका मुख्य कारण इनका वनों के प्रति आस्था और प्रेम है । जैसे राजस्थान के बिश्नोई समुदाय के लिए वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण उनके धार्मिक अनुष्ठान का भाग बन गया है।
भारत सरकार द्वारा गत कुछ वर्षों से जीव संरक्षण के क्षेत्र में अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार की व्यवस्था की गई। जो अमृता देवी विश्नोई की स्मृति में दिया जाता है। जिन्होंने 1731 में राजस्थान के जोधपुर के पास खेजराली गांव में खेजड़ी वृक्षों को बचाने के लिए 363 लोगों के साथ अपने आप को बलिदान कर दिया था ।