Class 12 Physics Chapter 1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र Part 1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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Class 12 Physics Chapter 1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र Part 1
Class 12 Physics Chapter 1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र Part 1 में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 12 Physics Chapter 1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र Part 1 में महत्वपूर्ण Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी:
- स्थिर विधुत विज्ञान व विधुत आवेश की परिभाषा
- विद्युत आवेश के प्रकार और इसकी उत्पत्ति का इलेक्ट्रोनिक सिद्धांत
- आवेशन की विधियाँ जैसे चालन विधि प्रेरण विधि और घर्षण विधि
- वैदूत आवेश के मूलभूत गुण जैसे आवेश का संरक्षण व आवेश का कवांटीकरण
- पदार्थो का वर्गीकरण जैसे चालक अचालक और अर्धचालक
हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है |
अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
स्थिर विधुत विज्ञान व विधुत आवेश की परिभाषा
स्थिर विधुत विज्ञान:- भोतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत उन वस्तुओ का अध्ययन किया जाता है , जिन पर आवेश स्थिर रहता है, स्थिर विधुत विज्ञान कहलाती है |
विधुत आवेश :-द्रव्य का वह गुण , जिसके कारण वह आकर्षण व प्रतिकर्षण का गुण उत्पन करता है विधुत आवेश कहलाता है |
इसका मात्रक कुलाम होता है | इसे q से प्रदर्शित करते है |
विद्युत आवेश के प्रकार और इसकी उत्पत्ति का इलेक्ट्रोनिक सिद्धांत
विद्युत आवेश के प्रकार :- विद्युत आवेश दो प्रकार के होते है | एक धन आवेश दूसरा ऋण आवेश , इसकी खोज सर्वप्रथम बेंजामिन फ्रैंकलिन ने की थी |
आवेश की उत्पत्ति का इलेक्ट्रोनिक सिद्धांत : इस सिद्धांत के अनुसार जब किसी एक वस्तु को दूसरी उपयुक्त वस्तु के साथ रगडा जाता है तो किसी एक वस्तु से कम आबद्ध इलेक्ट्रान दूसरी वस्तु पर स्थानांतरित हो जाते है |
जिस वस्तु से इलेक्ट्रान स्थानांतरित होते है वह इलेक्ट्रान की कमी के कारण धनावेशित हो जाती है जबकि जिस वस्तु पर इलेक्ट्रान आते है वह इलेक्ट्रान की अधिकता के कारण ऋण आवेशित हो जाती है |
आवेशन की विधियाँ जैसे चालन विधि प्रेरण विधि और घर्षण विधि
आवेशन की विधियां:- किसी चालक के आवेशन की निम्नलिखित तीन विधियां होती हैं :
1):- चालन विधि:- इस विधि में आवेशित वस्तु को अन आवेशित वस्तु के संपर्क में लाकर अन आवेशित वस्तु को आवेशित किया जाता है | इसलिए इसमें दोनों वस्तुओं पर समान प्रकृति का आवेश आता है |
2):- प्रेरण विधि :-इस विधि में आवेशित वस्तु को अन आवेशित वस्तु के पास में रखकर , अन आवेशित वस्तु को पृथ्वी के संपर्क में लाया जाता हैं | जिसके फलस्वरूप अन आवेशित वस्तु विपरीत प्रकृति के आवेश से आवेशित हो जाती है |
3:- घर्षण विधि :-इस विधि में किन्हीं दो वस्तुओं को परस्पर घर्षित किया जाता है जिसके फलस्वरूप यह दोनों विपरीत आवेश से आवेशित हो जाती हैं ।
वैदूत आवेश के मूलभूत गुण जैसे आवेश का संरक्षण व आवेश का कवांटीकरण
विद्युत आवेश के गुण:- विद्युत आवेश में निम्नलिखित गुण पाए जाते हैं:-
1):- आकर्षण एवं प्रतिकर्षण:- सजातीय आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। जबकि विजातीय आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं |
2):- आवेश का संरक्षण:- इस नियम अनुसार आवेश को ने तो उत्पन्न किया जा सकता हैं और न ही नष्ट किया जा सकता है, परन्तु एक वस्तु से दूसरी वस्तु पर स्थानांतरित किया जा सकता है |
3):- वेग का प्रभाव :-विद्युत आवेश पर वेग का किसी भी प्रकार से प्रभाव नहीं पड़ता है |
4):- आवेश की योज्यता:- किसी निकाय का कुल विद्युत आवेश उसके विभिन्न अवयवयी कणों पर उपस्थित भिन्न-भिन्न आवेशों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है |
5):- आवेश का कवांटीकरण :- प्रकृति में आवेश सदैव एक निश्चित न्यूनतम मान के पूर्ण गुणज के रूप में उत्पन्न होता है, इसे आवेश का कवांटीकरण कहते हैं,
और इस न्यूनतम आवेश को मूल आवेश कहते हैं इसे e प्रदर्शित करते हैं , अर्थात q = ne जहां q आवेश n प्राकृतिक संख्या और e मूल आवेश है e का मान 1.6×1019 होता है|
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पदार्थो का वर्गीकरण जैसे चालक अचालक और अर्धचालक
पदार्थो को चालकता के आधार पर निम्नलिखित भागो में वर्गीकृत किया जा सकत है :
1: चालक : वे पदार्थ जिनमे मुक्त इलेक्ट्रान बहुत अधिक संख्या में पायें जाते है , और जिनमे वैदुत धरा का प्रवाह आसानी से हो जाता है, चालक कहलाते है | जैसे चांदी , तांबा , लोहा आदि |
2: वैदुत रोधी अथवा अचालक : वे पदार्थ जिनमे मुक्त इलेक्ट्रान की संख्या लगभग नगण्य होती है, और जिनमे वैदुत धरा का प्रवाह नही होता है, वैदुत रोधी अथवा अचालक कहलाते है | जैसे चमडा , गंधक , बेकेलाईट आदि |
परावैदुत पदार्थ वे अचालक पदार्थ होते है जिनमे वैदुत प्रभाव बिना वैदुत चालन के संचरित होता है | वैदुत क्षेत्र में ये पदार्थ आवेश का संग्रह करते है |
3: अर्धचालक : वे पदार्थ जिनकी चालकता चालको से बहुत कम जबकि अचालको से अधिक होती है अर्धचालक कहलाते है | जैसे : जर्मेनियम , सिलिकन , सेलिनियम कार्बन आदि |