Excellent Shiksha Class-10th,धातु एवं अधातु Class 10th Science Chapter-03 (धातु एवं अधातु) part -01

Class 10th Science Chapter-03 (धातु एवं अधातु) part -01


Class 10th Science Chapter-03 (धातु एवं अधातु) part -01

Class 10th Science Chapter-03  (धातु एवं अधातु ) part -01 में हम निम्न महत्वपूर्ण हैडिंग का अध्ययन करेंगे:- 

धातु एवं अधातु,
सक्रियता श्रेणी एवं उसके उपयोग,
धातु औत अधातु की अभिक्रिया,
आयनिक योगिक ठोस अवस्था में विद्युत् के कुचालक होते जबकि गलित अवस्था में नही क्यों?,
खनिज और अयस्क में अंतर,
धातुओ का निष्कर्षण ,    
 
आदि |

हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | 

अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है | 

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#1:- धातु :- वे पदार्थ जो ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते है, धातु कहलाते है |
जैसे :-  Fe , Al ,Sn Cu    आदि |

  #2:- अधातु :- वे पदार्थ जो ऊष्मा और विद्युत के कुचालक होता है , अधातु कहलाते है |
जैसे :- रबर , CO2  प्लास्टिक आदि |


 #3:- धातुओ के गुण :- इनमे निम्न्न्लिखित गुण पाए जाते है –
 1:- ये सामन्यत: चमकदार होती है |
2:- ये सामन्यत: कठोर और तन्य होती है |
3:- ये आघातवर्धनीय होती है |
4:- ये ऊष्मा और विद्युत की सुचालक होती है |
5:- इनका गलनांक सदैव उच्च होता है|

#:- अधतुओ के गुण :- इनमे निम्न्न्लिखित गुण पाए जाते है –
 1:- ये सामन्यत: चमकदार नही  होती है |
2:- ये सामन्यत: कठोर और तन्य नही होती है |
3:- ये आघातवर्धनीय नही  होती है जबकि भंघुर होती है |
4:- ये ऊष्मा और विद्युत की सुचालक नही  होती है |
5:- इनका गलनांक सदैव निम्न  होता है |

#4:- धातुओ के रासायनिक गुण :- इनमे निम्न रासायनिक गुण पाए जाते है –

1 :- ऑक्सीजन से अभिक्रिया :- ये ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते  है |

अर्थात 
                धातु + ऑक्सीजन ————–> धातु ऑक्साइड  
                 जैसे :- 2 Mg + O2 ————-> 2MgO 

2:-  जल से अभिक्रिया :- ये जल से अभिक्रिया करके धातु हाइड्रो ऑक्साइड बनाती  है |

अर्थात 
               धातु + जल ——————> धातु हाइड्रो ऑक्साइड  + हाइड्रोजन 
               जैसे :-  2Na + 2H2O ———————-> 2NaOH + H2 

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3:-  धातु की अम्ल से अभिक्रिया :- ये अम्ल से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन निकालते है |

 अर्थात 
           धातु + अम्ल —————–> लवण + हाइड्रोजन गैसं 
           जैसे :-  2Na +    2HCl ——————> 2NaCl + H2 
                      Mg + H2SO4 ———————> MgSO4 + H2 

 #5:-  धातु  लवण से अभिक्रिया  :- धातु,  धातु लवण से अभिक्रिया करके कम क्रियाशील धातु को विश्थापित कर  देती है|
 
        जैसे :-   Fe + CuSO4 ————-> FeSO4 + Cu   

#6:-  सक्रियता श्रेणी :- धातुओ की क्रियाशीलता को अवरोही क्रम में रखने पर बनी श्रेणी सक्रियता श्रेणी कहलाती है|

कुछ विशेष तत्वों की श्रेणी निम्न है – 

 
 

सक्रियता श्रेणी


   #:- सक्रियता श्रेणी के अनुप्रयोग :- इसके निम्नलिखित अनुप्रयोग है – 

1:- धातुओ  द्वारा जल से हाइड्रोजन गैस को विस्थापित करने की क्षमता ज्ञात करने में |
2:- धातुओ की अन्य धातु से विस्थापित करने की क्षमता ज्ञात करने में |
3 :- किसी अज्ञात धातु की सक्रियता ज्ञात करने में |
 
#:- धातु एवं अधातु से अभिक्रिया :-  धातु और अधातु परष्पर अभिक्रिया करके आयनिक योगिक  बनाते है , क्योंकि धातु अधातु को इलेक्ट्रान देकर उसकी संयोजकता को पूर्ण  करती है |
 
अर्थात हम कह सकते है की –

वे योगिक आयनिक योगिक  होते है जो धातु और अधातु में इलेक्ट्रान के स्थनान्तरण के फलस्वरूप बनते है | इन्हें विद्युत संयोजी योगिक भी कहते है |

जैसे :-  

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 इसी प्रकार अनेक योगिक बनाये जा सकते है जैसे :- KCl , CsCl2  आदि  |

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#:- आयनिक योगिको के गुणधर्म :- इनमे निम्नलिखित गुणधर्म पाए जाते है –                                                    
1 ) भोतिक गुणधर्म :- ये सामान्यत: ठोस होते है , क्योंकि इनके मध्य प्रबल आकर्षण बल पाया जाता है |    
    
 2) भंगुर प्रक्रति :- ये सामन्यत: भंगुर प्रक्रति के होते है | अर्थात जैसे ही इन पर चोट मारी जाती है,  ये तुरंत टूट  जाते है |
                                                                                             
 3) गलनांक एवं क्वथनांक :- इनके गलनांक और क्वथनांक सामन्यत: अधिक होते है , क्योंकि इनके कणों के मध्य उपस्थित बल अत्यधिक प्रबल होता है |
      
 4) घुलनशीलता :- ये जल में घुलनशील होते है , जबकि कार्बनिक पदार्थो में नही |
 
 5) चालकता :- ये ठोस अवस्था में विद्युत के सुचालक नही  होते है, जबकि गलित अवस्था में  सुचालक  होते है क्योंकि इस अवस्था में मुक्त आयन उपस्थित  हो जाते है| 
#:- धातुओ की प्राप्ति :- धातुओ की प्राप्ति का सबसे अच्छा श्रोत केवल और केवल पृथ्वी है|    इसलिए धातुओ को पृथ्वी की सतह  ही प्राप्त किया जाता है|  धातुओ के श्रोतो को भी दो  भागो मे बांटा गया है – 
1 ) खनिज   2) अयस्क  
 
#:- खनिज :- पृथ्वी की भूपर्पटी में पाए जाने वाले तत्वों या उनके योगिको को खनिज कहते है |जैसे :- लोहे का एक खनिज लाल मिटटी होती है |
 
 #:- अयस्क :- वे खनिज अयस्क कहलाते है ,  जिनमे धातु उचित मात्र में पाई जाती है| 
अर्थात जिनसे धातु को इच्छानुसार उचित मात्र में प्राप्त किया जा सकता है |
जैसे :- एलुमिनियम धातु का अयस्क बोक्साईट है | इसी प्रकार कॉपर का कॉपर पयराईट होता है | 

   

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#:- खनिज और अयस्क में अंतर :- इनमे निम्नलिखित अंतर होते है –   

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#:- धातुओ का निष्कर्षण :- धातु अयस्क से धातु को शुद्ध रूप में प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातु का निष्कर्षण कहते है  |                                  

                                

the end

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