Excellent Shiksha Class-10th,अनुवांशिकता एवं जैव विकास Class 10th Science Chapter-09 अनुवांशिकता एवं जैव विकास part – 02

Class 10th Science Chapter-09 अनुवांशिकता एवं जैव विकास part – 02


Class 10th Science Chapter-09 अनुवांशिकता एवं जैव विकास part – 02

Class 10th Science Chapter-09 अनुवांशिकता एवं जैव विकास part – 02 अनुवांशिकता एवं जैव विकास  का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |

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What We Learn In This Part

इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे  | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |

Class 10th Science Chapter-09 अनुवांशिकता एवं जैव विकास part – 02 में महत्वपूर्ण  Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी: 

  1. लक्षणों की वंशागति के नियम और मेंडल का योगदान
  2. अनुवांशिकता का प्रथम नियम – प्रभावित का नियम
  3. अनुवांशिकता का द्वितीय नियम- पृथक्करण का या युग्मको की शुद्धता का नियम
  4. अनुवांशिकता का तीसरा नियम- स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम
Class 10th Science Chapter-09 अनुवांशिकता एवं जैव विकास part – 02

लक्षणों की वंशागति के नियम और मेंडल का योगदान

लक्षणों की वंशागति के नियम और मेंडल का योगदान: मेंडल का पूरा नाम ग्रेगर जॉन मेंडल था। इनका जन्म ऑस्ट्रिया के छोटे से गांव में गरीब किसान परिवार में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा एक गिरजाघर में हुई और बाद में विज्ञान एवं गणित का अध्ययन करने हेतु वियना विश्वविद्यालय गए। अध्यापन की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर यह अपने चर्च में वापस आ गए एवं मटर के पौधे पर वंशागति संबंधी प्रयोग किए और वंशागति के नियम बनाएं।

मेंडल ने युग्म विकल्प पौधों में क्रॉस करवाकर प्राप्त परिणामों के आधार पर अनुवांशिकता के तीन नियम प्रतिपादित किये। जो निम्न प्रकार हैं :

  1. अनुवांशिकता का प्रथम नियम – प्रभावित का नियम
  2. अनुवांशिकता का द्वितीय नियम- पृथक्करण का या युग्मको की शुद्धता का नियम
  3. अनुवांशिकता का तीसरा नियम- स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम

अनुवांशिकता का प्रथम नियम - प्रभावित का नियम

1: अनुवांशिकता का प्रथम नियम – प्रभावित का नियम: मेंडल ने बताया कि “यदि एक युग्मविकल्पी लक्षण के लिए दो शुद्ध पौधों में क्रॉस करवाया जाए तो प्राप्त प्रथम पीढ़ी में सभी पौधे प्रभावित लक्षण वाले होते हैं और अप्रभावी लक्षण छुप जाते हैं अर्थात दिखाई नहीं देते हैं, इसे प्रभावित का नियम कहते हैं।

अनुवांशिकता का प्रथम नियम - प्रभावित का नियम

अनुवांशिकता का द्वितीय नियम- पृथक्करण का या युग्मको की शुद्धता का नियम:

2: अनुवांशिकता का द्वितीय नियम- पृथक्करण का या युग्मको की शुद्धता का नियम: मेंडल ने बताया कि एक युग्मविकल्पी लक्षण के लिए दो शुद्ध पौधों में क्रॉस करवाकर प्रथम पीढ़ी F1 में जो पौधे प्राप्त होते हैं। यदि इनके स्वपरागण से F2 पीढ़ी प्राप्त की जाए तो उनमें से एक चौथाई पौधे बोने होते हैं।

अतः इसे स्पष्ट है कि प्रत्येक लक्षण के दो विपर्यासी स्वरूप होते हैं तथा उनकी वंशागति के दौरान जब कभी संभव हो वे प्रथक – प्रथक होकर अपने आप को प्रकट कर देते हैं।

अनुवांशिकता का द्वितीय नियम- पृथक्करण का या युग्मको की शुद्धता का नियम

इस नियम को पृथक्करण के नियम से भी जाना जाता है। मेंडल ने यह भी बताया कि इसमें युग्मक साथ-साथ रहते हुए भी एक दूसरे को दूषित नहीं करते तथा प्रभावित लक्षण भी शुद्ध रूप में प्रकट हो जाते हैं, इसलिए इसे युग्मको की शुद्धता का नियम भी कहते हैं।

इस एकल संकर संकरण ( मोनोहाइब्रिड क्रॉस ) के लिए F2 पद का लक्षण प्रारूप अनुपात 3:1 एवं जीन प्रारूप अनुपात 1:2:1 होता है।

अनुवांशिकता का तीसरा नियम- स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम

3: अनुवांशिकता का तीसरा नियम- स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम :  मेंडल ने बताया कि यदि मटर के पौधों में एक एक युग्मविकल्पी जोड़ के बजाय दो युग्मविकल्पी जोड़ों के अध्ययन के लिए संकरण कराया जाए तो इसे द्विसंकर संकरण ( डाई हाइब्रिड क्रॉस) कहते हैं।

इसमें हमें प्रथम पीढ़ी F1 में सभी पौधे प्रभावी गुणों वाले होंगे परंतु द्वितीय पीढ़ी F2 में हमें चार प्रकार के संयोग प्राप्त होते हैं।

अनुवांशिकता का तीसरा नियम- स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम

इस प्रकार प्रत्येक पौधे में चार प्रकार के युग्मक तैयार होंगे स्व परागण होने पर यह युग्मक आपस में मिलकर चार प्रकार के पौधे उत्पन्न करेंगे।

  1. गोल बीज लंबे पौधे – 9
  2. गोल बीज बोने पौधे – 3
  3. झुर्रीदार बीज लंबे पौधे – 3
  4. झुर्रीदार बीज बोने पौधे – 1

इस प्रकार देवीशंकर क्रॉस में युग्मको की (लक्षणों की) स्वतंत्र रूप से अदला बदली हो जाती है । प्रत्येक लक्षण किसी अन्य लक्षण से जुडा न होकर स्वतंत्र होता हैं इसलिए इसे स्वतंत्र अपव्युहन का नियम कहते हैं।

इस द्विसंकर क्रॉस में F2 पीढ़ी का लक्षण प्रारूप अनुपात 9:3:3:1 एवम् जीन प्रारूप अनुपात 1:2:1:2:4:2:1:2:1 होता है।

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