Excellent Shiksha class - 12th,विलयन Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 2

Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 2


Class 12th Chemistry Chapter 01 विलयन part 02

Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 2 विलयन  का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |

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Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 2

इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे  | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |

Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 2 में महत्वपूर्ण  Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी: 

  1. संतर्प्त विलयन और द्रव विलायको में ठोस की विलायता को प्रभावित करने वाले कारक
  2. हेनरी का नियम और इसके अनुप्रयोग व सीमाएँ
  3. शुद्ध द्रवों का और ठोस पदार्थो का द्रव में विलयन एवं विलयन का वाष्प दाब
  4. राऊल्ट का नियम
  5. अवाष्प्शील ठोस पदार्थो का द्रव में विलयन एवं उनका वाष्प दाब
  6. आदर्श विलयन और अनादर्श विलयन
  7. राऊल्ट के नियम से धनात्मक और ऋणात्मक विचलन
Class 12th Chemistry Chapter 01 विलयन part 02

संतर्प्त विलयन और द्रव विलायको में ठोस की विलायता को प्रभावित करने वाले कारक

संतर्प्त विलयन :- एसा विलयन जिसमे ताप और दब की स्थिर अवस्था पर और अधिक विलय पदार्थ नही घोला जा सकता है , संतर्प्त विलयन कहलाता है | इस अवस्था में कुछ कण आपस में जुडकर एक ठोस पदार्थ का रूप ले लेते है,  जिसे क्रिस्टल  कहते है |

नोट:-  like dissolves like  ये एक एसा सिद्धांत है | जिससे पता लगाया जाता है की कोंन  सा  पदार्थ किस में घुल जाता है ,क्योंकि एक जैसी प्रक्रति के पदार्थ  ही आपस में घुलते  है  |

द्रव विलायको में ठोस की विलायता को प्रभावित करने वाले कारक :- ये निम्न लिखित है :- 
1:- ताप का प्रभाव :- सामन्यत: ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया की विलेयता घटती है ,  परन्तु फिर भी यह इस बात पर निर्भर करती है , कि  अभी क्रिया ऊष्मा शोषी  है या ऊष्माक्षेपी यदि ऊष्मा शोषी है तो बढती है , अन्यथा घटती है | 

2:- दब का प्रभाव :- इसका विलेयता पर कोई परभाव नही पड़ता है | 

गैसों की द्रव में विलेयता :- कई गैसे द्रव में घुल जाती है | जैसे सोडावाटर तथा शीतल पेय पदार्थो में जल में उच्च दाब  पर CO2 गैस घुल जाती है | फिर भी इनकी विलेयता इस बात पर निर्भर करती है की –

1:- गैस की प्रक्रति :- H2 , N 2 , और O2 आदि गैसे जल में बहुत कम घुलती है जबकि CO2 NH3 ,आदि बहुत  ज्यादा घुल जाती है |

2:- ताप का प्रभाव :- गैसों की विलेयता ताप बढ़ाने पर सदैव घटती है |

3 :- द्रव विलायक की प्रक्रति :- ताप तथा दाब  की परिस्थतियो में O2 , N 2 आदि गैसे जल में घोली जा सकती है , जबकि सामान्य स्थिति में ये बहुत कम घुलती है |

हेनरी का नियम और इसके अनुप्रयोग व सीमाएँ

हेनरी का नियम :- इस नियम के अनुसार नियत ताप पर विलयन के उपर किसी गैस का आंशिक दब (p ) विलयन में विलीन  गैस के मोल प्रभाज के समानुपाती होता है |

अर्थात :- 
                                            p α x 
अत:                                      p = K H x 

                      जहाँ K H एक नियतांक है इसका मात्रक दाब के समान होता है |

हेनरी के नियम के अनुप्रयोग :- 
1:- शीतल पेय पदार्थो में CO2 की विलेयता को बढ़ाने के लिए बोतलों को उच्च दाब पर शील किया जाता है|
2:- ऊँचे स्थानों पर रहने वाले लोगो को साँस लेने में थोड़ी परेशानी होती है , क्योंकि इन स्थानों पर O2 की सांद्रता कम होती है | इससे व्यक्ति में कमजोरी आने लगती है | इस बीमारी को एनोकसिया कहते है | 
3:- समुद्र में निचे गहराई में जाने पर दाब बढ़ जाता है | जिसके कारण N 2 जैसी  गैसे रक्त में घुलने लगती है |  जिससे तंत्रिका कोशिका की स्वेदना खत्म होने लगती है | इस बीमारी को बेंड्स कहते है | 

हेनरी के नियम की सीमाए :- 
1:- दाब अधिक न  हो  | 
2:- ताप बहुत  कम न हो |  
3:- गैस बहुत अधिक घुलन शील न  हो |

शुद्ध द्रवों का और ठोस पदार्थो का द्रव में विलयन एवं विलयन का वाष्प दाब

शुद्ध द्रवों का वाष्प  दाब :- वाष्प तथा द्रव की  साम्य अवस्था में स्थिर ताप पर वाष्प द्वारा डाला गया दाब द्रव का वाष्प दाब कहलाता है |

 यह निम्न बातो पर निर्भर करता है :- 
1:- ताप बढ़ाने पर द्रव का वाष्प दाब बढ़ता है |
2:- स्थिर तापमान पर इसका मान अपरिवर्तित रहता है |
3:- समान ताप पर जिन विलयनो  का वाष्प दाब समान होता है उन्हें समदाबी विलयन कहते है |

ठोस पदार्थो का द्रव में विलयन एवं विलयन का वाष्प दाब :-  जब किसी विलयन में अवाष्पशील पदार्थ मिलाया जाता है , तो उसका दाब घट जाता है | वाष्प दाब की इसी कमी को वाष्प दाब का अवनमन कहते है | 

राऊल्ट का नियम

राऊल्ट का नियम :- इस नियम के अनुसार विलयन में उपस्थित घटक का आंशिक वाष्प दाब उसके मोल प्रभाज के अनुक्रमानुपति होता है | 

अर्थात 
             यदि किसी विलयन के घटक A व B है , जिनका वाष्प दब क्रमश: P A   व P B है,  और इनके मोल प्रभाज क्रमश: X A   व X B हो तब ,  
                                         

राऊल्ट का नियम
अत: विलयन का कुल वाष्प दाब – 
राऊल्ट का नियम
 
डायग्राम के द्वारा निरूपण –                                                                                                   
राऊल्ट का नियम

अवाष्पशील ठोस पदार्थो का द्रव में विलयन एवं उनका वाष्प दाब

अवाष्पशील ठोस पदार्थो का द्रव में विलयन एवं उनका वाष्प दाब :- जब किसी ठोस अवाष्प्शील पदार्थ को किसी वाष्पशील विलयन में डाल देते है , तो उसका वाष्प दाब काम हो जाता है | क्योंकि अवाष्प्शील पदार्थ का वाष्प दाब शून्य होता है |                                                                                                                      
    Ps = PA + PB                                  
= PA + 0   ( क्योंकि  PB= 0 )
         Ps= P० AXA                                       
          Ps = P ० A (1-XB  )                               
हल करने के बाद                                                                                                                     
                                      XB = (P० A – Ps )/P० A       
इस सूत्र के द्वारा सामान्यत: हम न्यूमेरिकल हल करते है  |

आदर्श विलयन और अनादर्श विलयन

आदर्श विलयन :- एसे विलयन जो राऊल्ट के नियम का पूर्ण रूप से  पालन करते है , आदर्श विलयन कहलाते है |
 जैसे :-    मेथेनोल  व इथेनोल का मिश्रण  और बेंजीन व टोलिन का मिश्रण  |                                       
अनादर्श विलयन :- वे विलयन जो राऊल्ट के नियम का पूर्ण रूप से पालन नही करते है,  अनादर्श विलयन कहलाते है |

राऊल्ट के नियम से धनात्मक और ऋणात्मक विचलन

राऊल्ट के नियम से विचलन :- राऊल्ट के नियम से विचलन दो प्रकार का होता है –                                                                    
1) धनात्मक विचलन     2) ऋणात्मक विचलन  
 
1) धनात्मक विचलन  :- इस प्रकार के विलयनो में प्रत्येक घटक का आंशिक  वाष्प दाब राऊल्ट के नियम की अपेक्षा अधिक होता है , इसलिए  इनका कुल वाष्प दाब राऊल्ट के नियम से अधिक होता है |
         
 2) ऋणात्मक विचलन  :- इस प्रकार के विलयनो में प्रत्येक घटक का आंशिक  वाष्प दाब राऊल्ट के नियम की अपेक्षा कम  होता है , इसलिए  कुल वाष्प दाब रऊल्ट के नियम से कम  होता है | 
the end

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