Excellent Shiksha class - 12th,विलयन Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 3

Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 3


Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 3

Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 3 विलयन  का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |

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Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 3

इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे  | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |

Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 3 में महत्वपूर्ण  Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी: 

  1. अणुसंख्य गुण की परिभाषा और इसके प्रकार
  2. परासरण और अर्ध पारगम्य झिल्ली
  3. परासरण दब और इस आधार पर विलयन
  4. विसरण और प्रतिलोम परासरण
  5. हिमांक का अवनमन और हिमांक की परिभाषा
  6. क्वथनांक का उन्नयन और क्वथनांक की परिभाषा
  7. असामान्य अणु संख्य गुणधर्म
Class 12th Chemistry Chapter 1 विलयन part 3

अणुसंख्य गुण की परिभाषा और इसके प्रकार

अणुसंख्य  गुण :- विलयन के वे भोतिक गुण जो विलयन के एक दिए हुए आयतन में केवल विलय के कणों की संख्या पर निर्भर करते है |

 
कुछ महत्वपूर्ण अणु संख्य गुण निम्नलिखित है : – 

  1. वाष्प दाब का आपेक्अषित वनमन |
  2. कवथनाक का उन्नयन |
  3. हिमांक का अवनमन |
  4. परासरण दाब |

आइये निचे से एक एक हैडिंग लेकर जाते है |

परासरण और अर्ध पारगम्य झिल्ली

परासरण :- विलायक का कम मोलर सांद्रता के विलयन से अधिक मोलर सांद्रता के विलयन  की तरफ अर्ध पारगम्य झिल्ली में से स्वत: प्रवाह परासरण कहलाता है | 

नोट:- अर्ध पारगम्य झिल्ली :-  इसे सामान्यत: spm  कहते है | यह वह झिल्ली होती है , जो कम मोलर सांद्रता के विलयन को अधिक मोलर सांद्रता के विलयन में स्वत: प्रवाह  होने देती है | 

जैसे :-  goats bllader ,  अंडे की झिल्ली , जीवित कोशिका की भित्ति , पर्चेमेंट सल्लोफोंन आदि |
कृत्रिम रूप से बनी हुई spm क्युप्रिक फेरोसाइनैड  है |

परासरण दब और इस आधार पर विलयन

परासरण दाब :- किसी विलयन को अर्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा विलायक से प्रथक रखने  पर,  विलयन में विलायक के प्रवेश को रोकने के लिए विलयन पर लगाया गया अतिरिक्त दाब विलयन का परासरण दाब कहलाता है | इसे  π से प्रदर्शित करते है , इसे सामान्यत: निम्न समीकरण से ज्ञात करते  है | 
                                                  π = CRT 
                          जहाँ C मोल प्रति लीटर में सांद्रता है | 

                     R एक गैस नियतांक है जबकि T तापमान होता है |
समपरासरी विलयन :- स्थिर ताप पर एसे विलयन जिनके परासरण दाब समान होते है | समपरासरी विलयन कहलाते है | इनकी मोलर सांद्रता भी समान होती है |
 
अतिपरासरी विलयन :- वे विलयन जिनके परासरण दाब किसी अन्य  विलयन के परासरण दाब से अधिक होता है , अति परासरी विलयन कहलाते है |
 

अल्प परासरी विलयन :- वे विलयन जिनके प्रसारण दाब किसी अन्य विलयन के परासरण दाब से कम होते है , अल्प परासरी विलयन कहलाते है | 

विसरण और प्रतिलोम परासरण

विसरण :- किसी [पदार्थ का उच्च  सांद्रता से निम्न संद्ता की और प्रवाह विसरण कहलाता है |  इसके लिए किसी अर्ध पारगम्य झिल्ली की आवश्यकता नही पडती है | यह सभी विलयनो में सम्भव होता है , जबकि परासरण नही |
 
प्रतिलोम परासरण :- जब दो विभिन मोलर सांद्रता वाले विलयनो को spm द्वारा प्रथक किया जाता है , तो परासरण  के कारन विलायक के अणु कम सांद्रता वाले विलयन की तरफ गति करने लगते है |
यदि अधिक सांद्रता वाले विलयन पर परासरण दाब से अधिक बाह्य दाब लगा दिया जाये तो,  परासरण विपरीत दिशा में होने लगता है | इस प्रक्रिया को प्रतिलोम परासरण कहते है |
 
आजकल इसी प्रक्रिया के द्वारा समुद्र के जल को स्वच्छ क्र उप्प्योग किया जा रहा है | 
 

नोट :- समुद्र जल से शुद्ध जल प्राप्त करने की प्रक्रिया विलवणीकरण कहलाती   है इस प्रक्रम को RO भी कहते है 

 प्रतिलोम परासरण  

हिमांक का अवनमन और हिमांक की परिभाषा

हिमांक का अवनमन :– हिमांक वह  ताप होता है , जस पर किसी पदार्थ की द्रव व ठोस प्र्वस्थाये समय अवस्था में होती है |  विलयन का हिमांक शुद्ध विलायक से हमेशा कम  होता है |  जिसे हिमांक का अवनमन कहते है इसे ΔTF से प्रदर्शित करते है  |
अर्थात – 
   यदि किसी समय किसी शुद्ध विलायक का हिमांक T1 हो और विलयन का हिमांक T2  हो तब
                                       हिमांक का अवनमन = T1-T2 
                                                         ΔTF   = T1-T2 
 प्रयोगों द्वारा देखा गया की यह  विलयन की मोल्लता के अनुक्रमानुपति होती है इसलिए 
                                                            ΔTF  α m 
                                                                   = Kf m   
              इसमें मोललता का सूत्र प्रयोग कर इसका मान ज्ञात किया जा सकता है 

क्वथनांक का उन्नयन और क्वथनांक की परिभाषा

क्वथनांक का उन्नयन :- किसी द्रव का क्वथनांक वह ताप होता है | जिस पर उसका वाष्प दाब बाह्य दाब के बराबर हो जाता है | अवाष्प शील विलय पदार्थ युक्त विलयन का क्वथनांक हमेशा शुद्ध द्रव से अधिक होता है | इसलिए इस व्रधि को क्वथनांक का उन्नयन कहते है | इसे   ΔTb से प्रदर्शित करते है | 
अर्थात –        
 यदि किसी समय किसी शुद्ध विलायक का क्वथनांक T1 हो और विलयन का क्वथनांक  T2  हो तब
                                    क्वथनांक का उन्नयन = T 2 – T 1 
                                                         ΔTb =      T 2 – T 1 
 प्रयोगों द्वारा देखा गया की यह  विलयन की मोल्लता के अनुक्रमानुपति होती है इसलिए 
                                                           ΔTb   α m 
                                                                   = Kb m 
           इसमें मोललता का सूत्र प्रयोग कर इसका मान ज्ञात किया जा सकता है |
 
वाष्प दाब का आपेक्षित अवनमन :- ये आपने पहले ही इसी अध्याय में पढ़ लिया है इस लिए पीछे से देख कर पढ़े | 

असामान्य अणु संख्य गुणधर्म

असामान्य अणु संख्य गुणधर्म :- वियोजन और संयोजन के दोरान कुछ पदार्थो में अनुओ की संख्या बदल जाती है | जिसके कारण बहुत सरे गुणों में बदलाव आ जाते  है |
 
सामन्यत: संयोजन में अणुओ की संख्या में  कमी होती जबकि वियोजन में वर्धि होती है |
 
इस प्रकार के विलयनो को सही प्रकार से ज्ञात करने के लिए वांट होफ्फ़ वैज्ञानिक ने वांट होफ्फ़ गुणांक दिया जिसे i से पर्दर्शित करते है |
 
 वांट होफ्फ़ गुणांक (i) = वियोजन अथवा संगुनन के बाद कणों की कुल संख्या /  वियोजन अथवा संगुनन के पहले  कणों की कुल संख्या  
 
 इसलिए असामान्य गुण धर्मो में निम्न सूत्रों का उपयोग किया जाता है 
                      क्वथनांक के  उन्नयन के लिए –
                                              ΔTb= i  Kb m
                     हिमांक के अवनमन के लिए –
                                              ΔTf   =Kf  m
                    परासरण दाब के लिए – 
                                              π=i CRT  अर्थात हम कह सकते है की सभी i लग जायेगा 
 
                                   …………………THE END ………………..
the end

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