Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -01 पृष्ट रसायन का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
Table of Contents
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -01 में महत्वपूर्ण Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी:
- पृष्ट रसायन की परिभाषा और अधिशोषण व अवशोषण
- अधिशोषण का कारण और अधिशोषण की क्रियाविधि
- अधिशोषण और अवशोषण में अंतर
- धनात्मक और ऋणात्मक अधिशोषण
- अधिशोषण और भोतिक अधिशोषण व इसके लक्ष्ण
- रासायनिक अधिशोषण और इसके लक्ष्ण
- भोतिक अधिशोषण और रासायनिक अधिशोषण में अंतर
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पृष्ट रसायन की परिभाषा और अधिशोषण व अवशोषण
पृष्ट रसायन : रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत ठोस अथवा द्रव की सतह या अंत: पृष्ट पर होने वाली विभिन्न परिघटनाओ का अध्ययन किया जाता है पृष्ट रसायन कहलाती है |
सतह या पृष्ट : दो प्र्वस्थाओ को अलग करने वाली सीमा को सतह या पृष्ट कहते है |
अधिशोषण (Adsorption) : इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम वैज्ञानिक कैसर ने किया था अर्थात –
“सूक्ष्म विभाजित अवस्था में किसी ठोस अथवा द्रव का जुड़ना अधिशोषण कहलाता है “
जो पदार्थ सतह पर सांद्रित होता है उसे अधिशोष्य कहते है और जिस पर एकत्र होता है उसे अधिशोषक कहते है | जैसे :-चारकोल द्वारा N2 , O2 … आदि गैसों का अधिशोषण करना |
अवशोषण: वह स्थूल प्रक्रिया जिसमे पदार्थ के अणु परमाणु अथवा आयन दुसरे पदार्थ के भीतर प्रवेश करके समान रूप से वितरित हो जाते है, अवशोषण कहलाती है |
शोषण : वह प्रक्रिया जिसमे अवशोषण और अधिशोषण दोनों एक साथ होती है, शोषण कहलाती है |
विशोषण : वह प्रक्रिया जिसमे पदार्थ की सतह से अधिशोषित पदार्थ के अणुओ को हटाया जाता है, विशोषण कहलाती है|
अधिशोषण का कारण और अधिशोषण की क्रियाविधि
अधिशोषण का कारण :अधिशोषण एक पृष्ठीय अर्थात सतही घटना है | इसमें असंतुलन आंतरिक आकर्षण बल के कारण अधिशोषित पदार्थ ठोस की सतह पर एकत्र हो जाता है और इसकी सांद्रता स्थूल की तुलना में सतह पर बढ़ जाती है | यही कारण है, की पदार्थ दुसरे पदार्थ की सतह पर इकट्ठा हो जाता है |
अधिशोषण की क्रियाविधि : एक पृष्ट प्रक्रिया होने के कारण , निश्चित ताप व दब पर अधिशोषण की मात्रा अधिशोषक के प्रति इकाई द्रव्यमान का क्षेत्रफल बढने के साथ बढती है| अधिशोषण के उपरांत पृष्ठीय उर्जा में कमी होती है |अत: अधिशोषण सदेव एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रिया है |
इसकी क्रियाविधि में सबसे पहले पदार्थ सतह के सम्पर्क में आता है और फिर सतह पर असंतुलित बल लगने के कारण अधिशोषक पदार्थ सतह पर अधिशोषित हो जाता है |
अधिशोषण और अवशोषण में अंतर
अधिशोषण और अवशोषण में अंतर : इनमे निम्न अंतर होता है –
क्र0 सं0 | अधिशोषण | अवशोषण |
---|---|---|
1 | यह एक पृष्ठीय परिघटना है | जो केवल सतह पर होती है| | यह एक स्थूल परिघटना होती है| सम्पूर्ण पदार्थ में एक समान रूप से होती है| |
2 | इसमें अधिशोष्य की सांद्रता सतह पर अधिक और स्थूल में भिन्न होती है| | इसमें अधिशोष्य की सांद्रता सभी जगह एक समान होती है| |
3 | अधिशोषण में दर प्रारम्भ में अधिक होती है और फिर धीरे धीरे यह घटती जाती है जब तक की एक साम्य स्थापित न हो जाये | | सम्पूर्ण अभिक्रिया में अवशोषण की दर एक समान होती है | जिसके कारण इसमें साम्य तुरंत स्थापित हो जाता है| |
4 | यह एक ऊष्मा क्षेपी प्रक्रम है | | इसमें कोई ऊष्मा परिवर्तन नही होता है | |
5 | यह एक उत्क्रमणीय प्रक्रम है | | यह एक अनु -उत्क्रमणीय प्रक्रम है | |
6 | यह ताप और दाब पर निर्भर करता है| | यह ताप और दाब पर निर्भर नही करता है| |
7 | उदहारण : सिलिका जेल पर नमी का अधिशोषण | | उदहारण : निर्जल कैल्सियम क्लोराइड द्वारा जलवाष्प का अवशोषण |
धनात्मक और ऋणात्मक अधिशोषण
धनात्मक और ऋणात्मक अधिशोषण : यदि किसी प्रक्रम मे अधिशोष्य पदार्थ की सांद्रता का अधिशोषक की सतह पर स्थूल में सांद्रता की अपेक्षा अधिक अधिशोषण होता है तो, अधिशोषण धनात्मक अधिशोषण कहलाता है |
जबकि यदि यदि किसी प्रक्रम मे अधिशोष्य पदार्थ की सांद्रता का अधिशोषक की सतह पर स्थूल में सांद्रता की अपेक्षा बहुत कम अधिशोषण होता है तो, अधिशोषण ऋणात्मक अधिशोषण कहलाता है |
अधिशोषण और भोतिक अधिशोषण व इसके लक्ष्ण
अधिशोषण के प्रकार : अधिशोषण को बलों के आधार पर दो भागो में बांटा गया है –
1- भोतिक अधिशोषण 2- रासायनिक अधिशोषण
भोतिक अधिशोषण : जब अधिशोष्य के कण अणु , परमाणु या आयनिक कण अधिशोषक की सतह पर भोतिक बलों जैसे वांडरवाल्स बलों के द्वारा बंधते है, तो इसे भोतिक अधिशोषण कहते है| इस अधिशोषण को वांडरवाल्स अधिशोषण भी कहते है |
भोतिक अधिशोषण के लक्ष्ण : इसमें निम्नलिखित अभिलक्षण पाए जाते है –
1:- अविशिष्ट प्रकृति : भोतिक अधिशोषण विशिष्ट प्रक्रति का नही होता है अर्थात किसी भी पदार्थ को अधिशोषित कर लेता है |
2:- अधिशोष्य पदार्थ की प्रकृति : इसमें सर्वाधिक गैसे प्रयुक्त होती है जबकि अन्य पदार्थो को अधिशोषण इसमें कम होता है |
3:- पृष्ट क्षेत्रफल : इसमें जैसे – जैसे क्षेत्रफल बढ़ता है वैसे ही अधिशोषण की मात्रा बढती है |
4:- उष्मीय प्रकृति : इसमें उत्क्रमणीय प्रक्रति पायी जाती है अर्थात पदार्थ को गर्म करके सतह से हटाया जा सकता है |
5:- ताप का प्रभाव : ताप बढ़ाने से यह सामान्यत: घटता है |
रासायनिक अधिशोषण और इसके लक्ष्ण
रासायनिक अधिशोषण : जब अधिशोष्य के कण अणु , परमाणु या आयनिक कण अधिशोषक की सतह पर रासायनिक बलों द्वारा बंधते है, तो इसे रासायनिक अधिशोषण कहते है|
रासायनिक अधिशोषण के लक्ष्ण : इसमें निम्नलिखित अभिल्क्ष्ण पाए जाते है –
1-: अविशिष्ट प्रकृति : रासायनिक अधिशोषण विशिष्ट प्रक्रति का होता है अर्थात किसी भी पदार्थ को अधिशोषित नही करता है |
2:- अधिशोष्य पदार्थ की प्रकृति : इसमें सर्वाधिक गैसे प्रयुक्त होती है जबकि अन्य पदार्थो को अधिशोषण इसमें कम होता है |
3:- पृष्ट क्षेत्रफल : इसमें जैसे जैसे क्षेत्रफल बढ़ता है वैसे ही अधिशोषण की मात्रा बढती है |
4:- उष्मीय प्रक्रति : इसमें अनुत्क्रमणीय प्रक्रति पायी जाती है अर्थात पदार्थ को सतह से गर्म करके नही हटाया जा सकता है |
5:- ताप का प्रभाव : ताप बढ़ाने से यह सामान्यत: पहले बढ़ता है और फिर घटता है |
भोतिक अधिशोषण और रासायनिक अधिशोषण में अंतर
भोतिक अधिशोषण और रासायनिक अधिशोषण में अंतर :