Class 10th Science Chapter-07 नियंत्रण एवं समन्वय part – 03 नियंत्रण एवं समन्वय का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई अथवा पाठ को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide कर रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |
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What We Learn In This Part
इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो और आप Ask Question पर क्लिक करके प्रश्न भी पूछ सतके हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्वपूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करेंगे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |
Class 10th Science Chapter-07 नियंत्रण एवं समन्वय part – 03 में महत्वपूर्ण Headings निम्नलिखित है | इन्हें अच्छे से याद करे | ये आपको अच्छे अंक दिलाने में मदद करेगी :
- पादप हार्मोन : ऑक्सिन, जिबरेलिन , साइटोकाइनिन , एब्सिसिक अम्ल हार्मोन
- जंतुओं में हार्मोन: पीयूष ग्रंथि (मास्टर ग्रंथि)
- थायराइड ग्रंथि और अधिवृक्क ग्रंथि
- अग्नाशय ग्रंथि और मधुमेह ( डायबिटीज) रोग
- नर में वृषण तथा मादा में अंडाशय जनन ग्रंथियां
पादप हार्मोन : ऑक्सिन, जिबरेलिन , साइटोकाइनिन , एब्सिसिक अम्ल हार्मोन
पादप हार्मोन : वे रासायनिक पदार्थ जो पादप की वृद्धि, विकास एवं पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया में सहायता करते हैं, पादप हार्मोन कहलाते हैं । इनके संश्लेषण का स्थान इनकी क्रियाक्षेत्र से दूर होता है और यह साधारण विसरण द्वारा वहां पहुंचकर अपना कार्य करते हैं।
वृद्धि करता हुआ पादप जब प्रकाश को ग्रहण करता है तो उसके प्ररोह के अग्रभाग में ऑक्सिन हार्मोन संश्लेषित होता है और यह कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि में सहायक होता है । यदि पौधे पर एक ओर से प्रकाश आ रहा हो तो ऑक्सिन विसरित होकर प्ररोह के छाया वाले भाग में आ जाता हैं जिसके कारण छाया वाले भाग की कोशिकाएं अधिक वृद्धि करती हैं और पादप प्रकाश की ओर मुड़ता हुआ दिखाई देता है ।
एक दूसरा पादप हार्मोन जिबरेलिन होता है जो ऑक्सिन की तरह तने की वृद्धि में सहायक होता है। यह दो पर्वसंधियों के मध्य स्थित पर्व की लंबाई को तेजी से बढाता हैं।
पादपो में एक और हार्मोन पाया जाता है जो साइटोकाइनिन के नाम से जाना जाता है। यह कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है और फलों एवं बीजों में अधिक सांद्रता में पाया जाता है। क्योंकि बीजों में कोशिका विभाजन तीव्र गति से होते हैं।
कुछ हार्मोन वृद्धि निरोधक या वृद्धि संदमक भी होते हैं। जैसे – एब्सिसिक अम्ल यह हार्मोन पतझड़ के मौसम में पुरानी पत्तियों को हटाने में सहायक होता है जिससे नई पत्तियां आ सके।
जंतुओं में हार्मोन: पीयूष ग्रंथि (मास्टर ग्रंथि)
जंतुओं में हार्मोन: जंतुओं में कुछ अंतः स्रावी ग्रंथियां पाई जाती हैं जिससे निकलने वाले रासायनिक पदार्थों को हार्मोन कहते हैं । इन हार्मोन को क्रियाकारी स्थल तक पहुंचाने के लिए किसी प्रकार की नलिकाएं नहीं होती बल्कि यह विसरण या रक्त द्वारा वहां पर पहुंचते हैं। इन ग्रंथियां को नलिका विहीन ग्रंथियां भी कहते हैं। जैसे- पीयूष ग्रंथि, पीनियल ग्रंथि , थायराइड ग्रंथि, पेरा थायराइड ग्रंथि, थाइमस ग्रंथि, अधिक वृक्क ग्रंथि, अग्नाशय ग्रंथि ,जनन ग्रंथियां आदि।
पीयूष ग्रंथि : पीयूष ग्रंथि मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस के अधर तल पर पाई जाती है। इस ग्रंथि से 13 हार्मोन का समूह निकलता है जिसे पिट्यूटिराइन हार्मोन कहते हैं। यह हार्मोन शरीर की विभिन्न क्रियोओ एवं अन्य अंत स्रावी ग्रंथियां के कार्यों पर नियंत्रण रखते हैं।
यह हार्मोन मनुष्य की लंबाई के लिए भी उत्तरदाई होता है । इसकी अधिकता के कारण व्यक्ति की लंबाई अधिक व कमी के कारण कम हो जाती है । इस ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि भी कहते हैं।
थायराइड ग्रंथि और अधिवृक्क ग्रंथि
थायराइड ग्रंथि : थायराइड ग्रंथि गले में श्वसन नली के दोनों और पाई जाती है। यह H आकार की होती है। इस ग्रंथि से थायरोक्सिन हार्मोन निकलता है जिसमें आयोडीन की मात्रा पाई जाती है।
यह भोजन के उपापचय पर नियंत्रण रखता है जिससे वृद्धि के लिए उत्कृष्ट संतुलन उपलब्ध होता हैं। इसकी कमी से गोइटर ( घेंघा) रोग हो जाता है। जिसमे गर्दन फूल जाती है एवं लटक जाती है। अतः भोजन में आयोडीन युक्त नमक का सेवन करना चाहिए।
अधिवृक्क ग्रंथि: अधिवृक्क ग्रंथि दोनों वृक्क के ऊपर पाई जाती है, इनसे एड्रिनलिन हार्मोन स्रावित होता है। यह हार्मोन हमें संकटकालीन स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करता है। परिणाम स्वरुप हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि पेशियां तक अधिक O2 पहुंच सके, पाचन तंत्र एवं त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है, कंकाल पेशियो में रुधिर आपूर्ति बढ़ जाती है, श्वसन की दर तेज हो जाती है । यह सभी स्थितियां मिलकर हमें स्थिति का सामना करने की क्षमता प्रदान करती हैं।
एक बार इन्हें जरूर पढ़े
अग्नाशय ग्रंथि और मधुमेह ( डायबिटीज) रोग
अग्नाशय ग्रंथि : अग्नाशय ग्रंथि उदर भाग में यकृत के पास पाई जाती है इसमें विशेष प्रकार की लैंगरहेंस दीप कोशिकाएं पाई जाती हैं । इनकी बीटा कोशिकाओं से इंसुलिन एवं अल्फा कोशिकाओं से ग्लूकागोन हार्मोन स्रावित होता हैं । यह हार्मोन रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करते हैं।
इंसुलिन रक्त में बढी हुई शर्करा की मात्रा को ग्लाइकोजन में बदलकर संग्रहित कर लेता है तथा ग्लूकागोन आवश्यकता होने पर इसे पुन: ग्लूकोज में बदलकर उपलब्ध करवाता है ।
इंसुलिन की कमी से रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है जिससे मधुमेह ( डायबिटीज) रोग हो जाता है। इसके उपचार के लिए कृत्रिम इंसुलिन लेना पड़ता है।
नर में वृषण तथा मादा में अंडाशय जनन ग्रंथियां
नर में वृषण तथा मादा में अंडाशय जनन ग्रंथियां पाई जाती हैं। वृषण से टेस्टोस्टेरोन एवं अंडाशय से प्रोजेस्टरॉन व एस्ट्रोजन हार्मोन निकलते हैं। यह हार्मोन क्रमश: शुक्राणु की उत्पत्ति एवं अंडों की परिपक्वता के लिए उत्तरदाई होते हैं। साथ ही यह हार्मोन नर व मादा के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का भी विकास करते हैं।
पीनियल ग्रंथि : पीनियल ग्रंथि अग्रमस्तिष्क के पश्च भाग में पाई जाती है। यह मेलाटोनिन नामक हार्मोन स्रावित करती है जो हमारे शरीर का 24 घंटे का सोने , जागने का चक्र और शरीर का तापमान नियंत्रित करने के लिए सहायक होता है और उपापचय, पिगमेंटेशन एवं सुरक्षा क्षमता को भी बढ़ाता है।
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