Excellent Shiksha class - 12th,पृष्ट रसायन Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -04

Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -04

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Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -04

Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -04 पृष्ट रसायन पाठ का ही एक अहम् भाग है | अगर आप इस इकाई को अच्छे से अध्ययन करना चाहते है तो हम आपसे यही अनुरोध करते है कि आप इस बहुत बड़ी इकाई को छोटे छोटे part में पढ़े | यही वजह है कि हम आपको यहाँ पर part वाइज नोट्स Provide के रहे है | इस part में जो भी महत्वपूर्ण हैडिंग है उन्हें जरूर याद करे | क्यूंकि ये ही आपको अच्छे मार्क्स प्राप्त करने में मदद करेंगी |

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What We Learn In This Part

इस भाग में हम बोर्ड में पूछे गये कम से कम 3 से 5 मार्क्स का अध्ययन करेंगे | अत: आप इन्हें ध्यान से पढ़े | अगर आप कुछ समस्या महसूस करते है तो आप हमे सम्पर्क कर सकते हो | हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है |

Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -04 में महत्वपूर्ण हैडिंग निम्नलिखित है :

  • एंजाइम उत्प्रेरण की क्रिया विधि
  • कुछ महत्वपूर्ण एवं एक मार्क्स के प्रश्न से सम्बन्धित शब्द: कोलाइडी अवस्था, क्रिष्टलाभ, वास्तविक विलयन, निल्म्बन, कोलाइडी विलयन, परिक्षिप्त प्रवस्था, परिक्षेपण माध्यम
  • परिक्षेपण माध्यम की प्रक्रति के आधार पर वर्गीकरण: एल्कोसोल, एरोसोल, हाइड्रोसोल, बेन्जोसोल
  • द्रव स्नेही या द्र्व रागी कोलाइड और द्रव विरोधी या द्रव विरागी कोलाइड
  • बहु आणविक अथवा बहु अणुक कोलाइड, व्रहद आणविक या व्रहद अणुक कोलाइड, संगुणित कोलाइड, क्रांतिक मिसेल सांद्रता, मिसेल
Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -04

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एंजाइम उत्प्रेरण की क्रिया विधि

जैव रासायनिक उत्प्रेरण में धातुओ का कार्य :- एंजाइमो की गति धात्विक आयन बढ़ा देते है ये अयं वर्धक का कार्य करते है जैसे :- Na+ , Cu3+ आदि |

एंजाइम उत्प्रेरण की क्रिया विधि :- एंजाइम सामान्यत: प्रोटीन होते है इनकी क्रियाविधि में एसा विचार है की एंजाइम अणु कुंडली के कारण एक प्रबल कोलाइड कण बनाता है जिसमे बहुत सी दरारे होती है इन दरारों में प्रोटीन के सक्रिय समूह जैसे – NH2 , -COOH , -OH आदि होते है इन्हें सक्रिय केंद्र कहते है इन सक्रिय केन्द्रों में अन्य अणु इस प्रकार व्यवस्थित होते है जैसे चाबी ताले के अंदर , इसी आधार पर माइकेलिस तथा मेनटेन ने सन 1902 में निम्नलिखित क्रियाविधि प्रस्तुत की –Class 12th Chemistry Chapter-05 पृष्ट रसायन part -04

  • एंजाइम तथा सबस्ट्रेट की क्रियाविधि से पहले एक माध्यमिक संकर योगिक बनता है जो सम्य्वस्था में रहता है |

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  • माध्यमिक संकर अपघटित होकर उत्पाद बनाता है |

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कुछ महत्वपूर्ण एवं एक मार्क्स के प्रश्न से सम्बन्धित शब्द

कोलाइडी अवस्था :- पदार्थो के जलीय विलयन यदि चर्मपत्र झिल्ली में से विसरित नही होते है तो ये कोलाइडी कण कहलाते है ये सामान्यत: गोंद जिलेटिन , एलबुमिन आदि होते है |

क्रिष्टलाभ :- जिन पदार्थो का जलीय विलयन चर्मपत्र झिल्ली में से शीघ्रता से छन जाता है उनको क्रिष्टलाभ कहते है जैसे :- शर्करा , ग्लूकोस आदि |

वास्तविक विलयन :– इस प्रकार के विलयन में विलायक तथा विलय के कणों का आकर लगभग बराबर होता है जिससे एक समांगी मिश्रण प्राप्त होता है इस कणों का व्यास लगभग 10 की घात -7 cm से कम होता है और इनको शक्तिशाली शुक्ष्मदर्शी से भी नही देखा जा सकता है |

निल्म्बन :- इनमे विलय के कणों का आकार 10 की घात – 5 cm होता है तथा इनको नग्न आँखों से भी देखा जा सकता है | यह एक विषमांगी मिश्रण होता है| इसके कणों का व्यास 10 की घात -5 से 10 की घात -3 तक होता है |
जैसे :- बालू मिटटी को जल में घोलकर बना विलयन |

कोलाइडी विलयन :- इस प्रकार के विलयन का आकर कणों के अनुसार 10 की घात -7 से 10 की घात की घात -5 cm तक होता है ये विलयन आँखों से देखने पर समांगी दिखाई देते है परन्तु वास्तव में विषमांगी होते है |

नोट :- कोलाइडी विलयन वास्तविक विलयन और निलम्बन के मध्य की एक अवस्था होती है |

परिक्षिप्त प्रवस्था :- कोलाइडी विलयन में विलय पदार्थ के कणों की प्रवस्था को परिक्षिप्त प्रवस्था कहते है |

परिक्षेपण माध्यम :- कोलाइडी विलयन में विलायक या माध्यम को परिक्षेपण माध्यम कहते है |
अत: कोलाइडी विलयन = परिक्षेपण माध्यम + परिक्षिप्त प्रवस्था

कोलाइडी विलयनो का वर्गीकरण :- कोलाइडी विलयनो को निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत किया जाता है –

  • अवयवो की भोतिक अवस्था के आधार पर
  • परिक्षेपण माध्यम की प्रक्रति के आधार पर
  • परिक्षिप्त प्रवस्था पर आवेश के आधार पर
  • परिक्षेपण माध्यम और परिक्षिप्त प्रवस्था के मध्य अन्योन्य क्रिया की प्रक्रति के आधार पर
  • कोलाइडी कणों के आकार के आधार पर

अवयवो की भोतिक अवस्था के आधार पर कोलाइड कणों का वर्गीकरण

इस हैडिंग से कभी कभी एक मार्क्स का प्रश आता है | अत: आप इस pic को जरूर याद करे | ये आपको हेल्प करेगी | 

अवयवो की भोतिक अवस्था के आधार पर कोलाइड कणों का वर्गीकरण

परिक्षेपण माध्यम की प्रक्रति के आधार पर वर्गीकरण

परिक्षेपण माध्यम की प्रक्रति के आधार पर वर्गीकरण :- इस आधार पर ये अनेक प्रकार के होते है जिनमे से कुछ निम्न है :

  1. एल्कोसोल :- इनमे परिक्षेपण माध्यम एल्कोहोल होता है |
  2. एरोसोल :- इनमे परिक्षेपण माध्यम वायु अथवा गैस होती है |
  3. हाइड्रोसोल :- इनमे परिक्षेपण माध्यम जल होता है इन्हें एक्वासोल भी कहते है |
  4. बेन्जोसोल :- इनमे परिक्षेपण माध्यम बेंजीन होता है |

परिक्षिप्त प्रवस्था पर आवेश के आधार पर :- इस आधार पर ये दो प्रकार के होते है :

  1. धनात्मक कोलाइड :- वे कोलाइड विलयन जिनमे परिक्षिप्त प्रवस्था के कणों पर धनात्मक आवेश होता है धनात्मक कोलाइड कहलाते है जैसे :- धातु हाइड्रोऑक्साइड |
  2. ऋणात्मक कोलाइड :- वे कोलाइड विलयन जिनमे परिक्षिप्त प्रवस्था के कणों पर ऋणात्मक आवेश होता है ऋणात्मक कोलाइड कहलाते है जैसे :- धातु के सोल |

द्रव स्नेही या द्र्व रागी कोलाइड और द्रव विरोधी या द्रव विरागी कोलाइड

परिक्षेपण माध्यम व परिक्षिप्त प्रवस्था के मध्य अन्योन्य क्रिया की प्रक्रति के आधार पर :- इस आधार पर ये दो प्रकार के होते है –

1:- द्रव स्नेही या द्र्व रागी कोलाइड :- उन पदार्थो को द्रव स्नेही कोलाइड कहते है जिन्हें द्रव या परिक्षेपण माध्यम के सम्पर्क में लाने पर कोलाइडी विलयन प्राप्त हो जाता है | इन्हें कोलाइडी विलयन से वाष्पीकृत करके पुन: प्राप्त किया जा सकता है इसलिए इन्हें उत्क्रमणीय कोलाइड भी कहते है |
यदि परिक्षेपण माध्यम जल हो तो इन्हें जल स्नेही कोलाइड कहते है जैसे :- प्रोटीन , एंजाइम स्टार्च आदि |

2:- द्रव विरोधी या द्रव विरागी कोलाइड :- उन पदार्थो को द्रव विरोधी कोलाइड कहते है जिन्हें द्रव या परिक्षेपण माध्यम के सम्पर्क में लाने पर कोलाइड विलयन शीघ्रता से प्राप्त नही किया जा सकता है | इन्हें कोलाइड विलयन से पुन: प्राप्त नही किया जा सकता है इसलिए इन्हें अनुत्क्र्मनीय कोलाइड कहते है |
यदि परिक्षेपण माध्यम जल हो तो इन्हें जल विरोधी कहते है जैसे :- धातु सोल , धातु हाइड्रोक्साइड आदि |

कोलाइडी कणों के आधार पर वर्गीकरण

कोलाइडी कणों के आधार पर : इस आधार पर ये तीन प्रकार के होते है –

1- बहु आणविक अथवा बहु अणुक कोलाइड:- वे कोलाइडी पदार्थ जिनके विलयन में कोलाइड कण , परमाणुओ अथवा अणुओ के झुण्ड या समूह के रूप में रहते है बहु आणविक अथवा बहु अणुक कोलाइड कहलाते है | इन कणों का आकार एक नैनो मीटर से कम होता है |
जैसे :- गोल्ड सोल 

2- व्रहद आणविक या व्रहद अणुक कोलाइड :- वे कोलाइड पदार्थ जिनके विलयन में कोलाइडी कण बड़े अणु के रूप में विधमान होते है अर्थात जिनके एक अणु में कई परमाणु विधमान रहते है व्रहद आणविक या व्रहद अणुक कोलाइड कहलाते है | इनका आकार एक नैनो मीटर से एक हजार नैनो मीटर के मध्य होता है | जैसे :- स्टार्च सेलुलोस , प्रोटीन एंजाइम आदि |

3- संगुणित कोलाइड :- वे कोलाइड जो विलयन की कम सांद्रता पर साधारण प्रबल विद्युत अपघट्य की भांति व्यवहार करते है तथा अधिक सांद्रता पर संगुणित हो जाते है संगुणित कोलाइड कहलाते है| जैसे :- साबुन तथा अपमार्जक आदि |

4- क्रांतिक मिसेल सांद्रता :- एक निश्चित ताप पर किसी अपमार्जक के विलयन की वह सांद्रता जिससे कम सांद्रता पर वह विद्युत अपघट्य के रूप में तथा उससे उच्च सांद्रता पर वह संगुणित कोलाइड के रूप में कार्य करता है क्रांतिक मिसेल सांद्रता कहलाती है |

5- मिसेल :- कोलाइडी विलयन में कणों के संगुणन के बने समूह को मिसेल कहते है जैसे :- साबुन का झाग |

the end

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