Excellent Shiksha class - 12th,विद्युत धारिता Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -02

Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -02


Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -02

Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -02 में हम निम्न महत्वपूर्ण हैडिंग का अध्ययन करेंगे:- 

परावैद्युत से आंशिक रूप से भरे समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक,
संधारित्रो का संयोजन समांतर क्रम में ,
संधारित्रो का संयोजन श्रेणी क्रम में, आदि |

हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | 

अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है | 

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Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -02

#:- परावैद्युत से आंशिक रूप से भरे समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक :– माना एक समांतर प्लेट संधारित्र दो प्लेटो से मिलकरबना है जिनका क्षेत्रफल A है , इनके बीच की दुरी d है और इन प्लेटो के मध्य परावैद्युतांक K है यदि परावैद्युतांक प्लेट की मोटाई t हो तो परावैद्युत से आंशिक रूप से भरे समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजकपरावैद्युत से आंशिक रूप से भरे समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजकपरावैद्युत से आंशिक रूप से भरे समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक

Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -02

#:- संधारित्रो का संयोजन :- संधारित्र को दो विधियों से जोड़ा जा सकता है –
1) समांतर क्रम में 2) श्रेणी क्रम में

#:- समांतर क्रम में संधारित्र का संयोजन :- संधारित्र को समांतर क्रम में जोड़ने के लिए प्रत्येक संधारित्र का एक सिरा बैटरी के एक सिरे से चित्रानुसार जोड़ा जाता है –समांतर क्रम में संधारित्र का संयोजन

मांतर क्रम में विभव समान होता है,  इसलिए सभी संधारित्र में विभव v है जबकि इनमे आवेश अलग अलग होता है जो निम्न प्रकार से है –

q1 =C1V  , q2 = C2V  और  q3 = C3V होगा
इसलिए परिपथ में कुल आवेश
q = q1 + q2 + q3
C(टोटल )V = C1V + C2V + C3V
अर्थात
C( टोटल) = C1 +C2 + C3 होगा

अत: हम कह सकते है समांतर क्रम में संधारित्रो का तुल्य उनके बिजगानितीय योग के बराबर होता है

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#:- श्रेणी क्रम में संधारित्र का संयोजन :- संधारित्रो को श्रेणी क्रम में जोड़ने के लिए प्रत्येक संधारित्र का एक सिरा दुसरे सिरे से चित्रानुसार जोड़ा जाता है –श्रेणी क्रम में संधारित्र का संयोजन

श्रेणी क्रम में आवेश समान रहता है ,जबकि विभव अलग अलग रहता है| इसलिए आवेश

q1 =q2=q3=q ( मानने पर )
परन्तु हम जानते है कि 
q1=C1V1 , q2=C2V2 , q3=C3V3 इसलिए
V1 = q1/C1 , V2 = q2 / C2 , V3 = q3/ C3 होगा
अत: परिपथ में कुल विभव
V= V1 + V2 + V3
q/C = q1/C1+q2 / C2+ q3/ C3
क्योंकि यहाँ आवेश समान है इसलिए
q/C = q/C1 + q/C2+q/C3
अत:
1/C =1/C1 + 1/C2 + 1/C3

इसलिए हम कह सकते है की श्रेणी क्रम में संधारित्र का तुल्य उनके व्युत्क्रम के बिजगानितीय योग के व्युत्क्रम के बराबर होता है

the end

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