Excellent Shiksha class - 12th,विद्युत धारिता Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -04

Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -04


Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -04

Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -04 में हम निम्न महत्वपूर्ण हैडिंग का अध्ययन करेंगे:- 

वान डे ग्राफ जनित्र का सिधांत,
वान डे ग्राफ जनित्र की संरचना,
वान डे ग्राफ जनित्र की कार्यविधि, आदि | 

हम आपसे ये गुजारिश करते है कि आप इन महत्व पूर्ण हैडिंग को अवस्य याद करे | क्यूंकि ये वो सभी हैडिंग है जो पिछले बहुत सालो के पेपर में रिपीट हुई है | 

अगर आप इन्हें याद करके एग्जाम में बैठते है तो आप 90 % से अधिक अंक हासिल कर सकते है | 

क्या जरूर्री है क्या नही  :-अच्छे से अच्छे अंक लाने के  लिए आपको बेहतर नोट्स एंड बेहतर क्लास लेनी चाहिये जो आपको बिलकुल फ्री में हम यहाँ पर दे रहे है |

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Class 12th Physics Chapter-04 विद्युत धारिता part -04

#:- वान डे ग्राफ जनित्र :- सन 1929 रोबर्ट जे . वान डे ग्राफ ने एक एसी मसीन बनाई | जिसके द्वारा कुछ मिलियन वोल्ट की कोटि का अति उच्च विद्युत विभव उत्पन्न किया जा सकता` है | जिसकी सहायता से आवेशित कणों को त्वरित कर किसी भी कण के नाभिक को तोड़कर उसका अध्ययन किया जा सकता है |

#:-सिधांत :- यह मसीन निम्न सिधान्तो पर कार्य करती है –
1:- खोखले गोले को दिया गया आवेश उसके बहरी पृष्ट पर एक समान रूप से वितरित हो जाता है|
2:- किसी खोखले गोले को बहार छोटा गोलीय आवेशित चालक रखकर दोनों को सुचालक तार से जोड़ने पर चालक का समस्त आवेश उसके बहरी पृष्ट पर एक समान रूप से वितरित हो जाता है |
3:- आवेशित चालक के नुकीले शिरे पर आवेश घनत्व अधिक होता है | इसलिए आवेश नुकीले सिरे से चालक की और जाता है|

#:- संरचना :- इस मसीन में एक विशाल धातु का खोखला गोला S होता है | जो चित्र अनुसार दो वैदुत रोधी स्तम्भ पर रखा होता है और इसमें दो पुली लगी रहती है | जिन पर एक पट्टा लगा रहता है|

जो आवेश को एक सिरे से दुसरे सिरे तक ले जाने का कार्य करता है| पुली (1 ) के पास में एक कंघी लगी रहती है जो आवेश को H . T श्रोत से लेकर पट्टे पर डालती है और ये पट्टा इस आवेश को दूसरी पुली तक ले जाने का कार्य करता है |

वान डे ग्राफ

#:- कार्य विधि :– जब कंघी C 1 उच्च कोटि के आवेश श्रोत से आवेश लेकर पुली 1 पर लाकर डाल देता है तो पुली पर लगे पट्टे की सहायता से आवेश दूसरी पुली तक पहुँच जाता है|  जहाँ से वह दूसरी कंघी द्वारा इस आवेश को एकत्र कर लिया जाता है और यह खोखले गोले के ऊपर एक समान रूप से वितरित हो जाता है|

यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक अति उच्च विभव उत्पन्न न हो जाये | जब अति उच्च विभव उत्पन्न हो जाता है तब आवेशित कण को रखकर उसे तवरित कर लेते है | जिसके द्वारा किसी भी नाभिक को आसानी से तोड़कर उसका अध्ययन किया जा सकता है |

#:- उपयोग :- इस मसीन का निम्न जगह उपयोग किया जाता है –
1: — आवेशित कणों को त्वरित करने में |
2:- छोटे छोटे नाभिको का अध्ययन करने के लिए उन्हें तोड़ने में |

……………. THE END ……………

the end

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